जन्म का अर्थ है भवभ्रमण जारी – उपप्रवर्तक अमृत मुनि
जैन सन्त उपप्रवर्तक अमृतमुनि के 63 वें जन्मदिन पर गुरु मिश्री चारा गृह तथा श्री कृष्ण पांडव पुराण महाकाव्य का हुआ विमोचन
डॉ वरुण मुनि को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि नागालैंड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदान की गई
जन्मदिन पर श्रावकों ने की गौसेवा तथा धर्म आराधना
सारण । महासती श्री पुष्पवती गौशाला में श्रमण संघीय प्रवर्तक मरुधरा भूषण शासन गौरव पूज्य गुरुदेव श्री सुकनमुनि जी म.सा, तपस्वीरत्न ज्योतिष सम्राट उपप्रवर्तक गुरुदेव श्री अमृतमुनि जी म सा, युवा प्रणेता महेश मुनि जी म सा, बालयोगी अखिलेश मुनि जी म सा, डॉ वरुण मुनि जी म सा आदि ठाणा 5 के पावन सान्निध्य में सारण मे उपप्रवर्तक अमृत मुनि जी म सा के 63 वें जन्म दिवस पर आयोजित धर्म सभा में प्रवर्तक सुकन मुनि ने कहा कि जीवन बहुत छोटा है। अगर उसमें आप सौदेबाजी करने की कोशिश करेंगे तो इससे पहले कि आपको कुछ पता चले, आपका जीवन समाप्त हो जाएगा। जन्मदिन यही याद दिलाते हैं कि जीवन खत्म हो रहा है। यह ऐसी बोरी है, जिसमें एक छेद है।
इससे पहले कि आपको कुछ पता चले, बोरी खाली होकर लुढक जाएगी। जीवन हर समय थोड़ा-थोड़ा निकलता जा रहा है। अगर हम जागरूक नहीं हुए, अगर हम अपनी अंदरूनी खुशहाली पर अपना सारा ध्यान न लगाएं, तो मृत्यु का पल एक पछतावा होगा। आपको पता नहीं होता कि आप कितने जन्मदिन देख पाएंगे, इसलिए सचेत होकर आत्म साधक बने। मुझे प्रसन्नता है कि उपप्रवर्तक अमृत मुनि का 63 वाँ जन्मदिन मनाया जा रहा है, मैं शुभाशीष देता हूँ और दीर्घायु की मंगल कामना करता हूँ।
उपप्रवर्तक अमृत मुनि ने कहा कि जन्मदिन मनाना मेरा तभी सार्थक होगा जब आप सब कुछ ना कुछ त्याग करके जाएंगे। जन्मदिन भोग विलासिता में डूबने के लिए नही अपितु आतम जागृति के लिए आता है और जन्मदिन हमें कहता है कि हे मनुष्य जाग जा! तू मौत के करीब पहुंच रहा है।
अमृतमुनि जी म सा ने जन्मदिन पर कहा कि जन्मदिन मनाना तभी सार्थक होगा जब आप अपने जीवन की दुर्व्यसन्ता मुझे भेंट करेंगे। जन्म का मतलब होता है कि अब भी कई जन्म लेने हैं। मैं तो अपने गुरु से ये आशीष मांगता हूँ कि ऐसा आशीर्वाद दीजिये की जन्म मरण के चक्र को तोड़कर सिद्ध पथ का राही बनूँ।
इन्होंने दी शुभकामनाएं
इस अवसर पर महेश मुनि, अखिलेश मुनि डॉ वरुण मुनि तथा साध्वी प्रितिसुधा संयम सुधा ने भी गुरुदेव के जीवन के विविध प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए जन्मदिवस की शुभकामनाएं दी तथा बताया कि उपप्रवर्तक अमृत मुनि सरल साधक है, जो निरन्तर स्वाध्याय में लीन होते हुए जनता को त्याग पथ की प्रेरणा देते हैं और एक उच्च आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। वही प्रवर्तक सुकन मुनि जी ने चद्दर ओढते हुए अपने शिष्य उपप्रवर्तक अमृत मुनि जी को आशीर्वाद प्रदान किया।
श्री कृष्ण पांडव पुराण महाकाव्य का विमोचन
प्रवचन के दौरान उपप्रवर्तक अमृत मुनि जी म सा की चिरप्रतीक्षित 53 वीं पुस्तक श्री कृष्ण पांडव पुराण (श्री अमृत जैन महाभारत कथा) भाग प्रथम एवं द्वितीय खण्ड का विमोचन हुआ। प्रथम खण्ड का विमोचन अशोक कुमार, कमलेश, आशीष लुंकड़ चेन्नई वालों ने किया वही द्वितीय खण्ड का विमोचन महावीर भलगट रत्नागिरी ने किया।
ग्रन्थ का लोकार्पण होने के पश्चात प्रवर्तक श्री एवं उपप्रवर्तक श्री को ग्रन्थ समर्पित किया गया। डॉ वरुण मुनि ने ग्रन्थ का परिचय देते हुए कहा कि ये 1250 पृष्ट में गद्य पद्य में लिखित श्री कृष्ण पांडव पुराण हिंदी काव्य साहित्य में स्वर्णाक्षरों से अंकित होने जा रहा है। इस ग्रन्थ में भगवान श्री नेमिनाथ, श्री कृष्ण तथा पांडवों का अथ से इति तक इतिहास वर्णित है। वर्तमान में जैन परम्परा में ऐसा विशाल ग्रन्थ का सृजन निश्चिततः लेखक के वृहद परिश्रम को दर्शाता है।
डी.लिट्ट की उपाधि से डॉ वरुण मुनि अलंकृत
उपप्रवर्तक अमृत मुनि के शिष्य डॉ वरुण मुनि के दीर्घ समय से अध्ययन करते हुए शोध प्रबंध जैनागमों में सामाजिक चेतना एक अनुशीलन विषय पर रिसर्च किया, जिसका यूनिवर्सिटी ऑफ दी दिससीप्लेशिप इंस्टीट्यूट फ़ॉर अपोस्टोलिक मिनिस्ट्रीज द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर “डी.लिट्ट” की उपाधि प्रदान की गई।
शोध गाइड प्रोफेसर सोहनराज तातेड़ ने बताया कि युवा जैन सन्त डॉ वरुण मुनि इस तरह उच्च अध्ययन को करते हुए जैन समाज को गौरवान्वित कर रहे हैं। इनका ये अध्ययन शोध प्रबंध साहित्य क्षेत्र में उपलब्धि के रूप में रहेगा। डॉ वरुण मुनि ने अपने डी लिट्ट का प्रमाण पत्र अपने गुरुदेव प्रर्वतक सुकन मुनि तथा उपप्रवर्तक अमृत मुनि के चरणों में रखते हुए कहा कि ये सब इन्हीं की कृपा का परिणाम है।
गुरु मिश्री चारा गृह का लोकार्पण
इस अवसर पर गुरुदेव श्री की मंगल प्रेरणा से गौशाला में निर्मित गुरु मिश्री चारा गृह का उद्घाटन श्रावक रत्न पी. पन्नालाल, चन्द्रप्रकाश, रिखबचन्द, जितेन्द्र बम्ब चेन्नई द्वारा किया गया। वही इस विशाल 6 हजार स्क्वायर फीट में निर्मित चारा गृह के निर्माण में सज्जनबाई देवेंद्र जी श्रीश्रीमाल चेन्नई, पन्नालाल चन्द्रप्रकाश रिखबचंद जितेंद्र बम्ब चेन्नई, प्रकाशचंद, राजेश कुमार, राकेश कुमार खारीवाल चेन्नई का विशेष अवदान रहा।
ये हस्तियां रही उपस्थित
इस अवसर पर नवरत्नमल गुंदेचा, सुरेश गुंदेचा, प्रकाशचंद खारीवाल, गौतमचंद ललवानी, सरदारमल गुलेच्छा, अशोक लुंकड़, बाबूलाल बोहरा, प्रसन्न कोठारी, जैन कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिनेश भलगट, महावीर भलगट, सुनील कोठारी, सुरेश गुंदेचा, माणकचन्द पोकरना, अशोक डंक, चन्द्रप्रकाश लोढ़ा, महेंद्र लोहिया, सोनू लुनिया, पंकज वर्मा, प्रवीण बोहरा, भगवती लाल मोगरा, वच्छराज पीतलिया, धर्मीचंद गुगलिया, विमल गांधी, लालचंद गांधी, ललित कोठारी, महेंद्र कांकरिया, जैकी भंडारी, अभय कोठारी, ललित कोठारी, महावीर चंद भंडारी, कमलेश सोलंकी, दीपक रांकावत, ऋषभ पीपाड़ा, देवीचंद भंडारी, जयंती लाल भंडारी, अशोक जी गुगलिया, विमल समदड़िया , नितिन जैन, अंकुर बलाई जैन कॉन्फ्रेंस की राष्ट्रीय अध्यक्षा पुष्पा गोखरू, निर्मला बुलिया, सहित चेन्नई, रत्नागिरी, उदयपुर, पाली, ब्यावर, मारवाड़, सोजत सिटी के अनेक गुरुभक्त उपस्थित रहे। वही समिति द्वारा अतिथियों तथा लाभार्थियों का अभिनंदन किया गया।
देशभर से गुरुभक्त करेंगे गौसेवा एवं मानव सेवा
डॉ वरुण मुनि ने आयोजन को लेकर विशेष जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिवर्ष गुरुवर के जन्मोत्सव पर गौसेवा तथा मानव सेवा का विशेष आयोजन किया जाता है। इसी श्रृंखला इस बार 63वे जन्मदिन पर 68 से अधिक गौशालाओं में लापसी भोग तथा गौसेवा का कार्य किया गया। इसके साथ ही मानव सेवा के तहत दक्षिण के कई हिस्सों में अन्नदान का कार्य किया गया।
इस अवसर पर सम्पूर्ण दिवस की प्रसादी के लाभार्थी मंगल चंद जी महेंद्र कुमार जी दिलीप जी सकलेचा आरकोनम चेन्नई वाले रहे। वही प्रभावना जबरचन्द जी सुनील कुमार जी कोठारी जोधपुर, लालचंद जी गांधी सारण, तथा नथमल जी रमेशकुमार जी विनयकुमार जी पीतलिया सिरियारी बैंगलोर, उच्चबराज गौतमचंद ललवानी, तेजराज जवरीलाल ललवानी, सरदारमल मनोज कुमार गुलेच्छा, प्रसन्नचन्द युवांश कोठारी, अशोक कुमार कमलेश लुंकड़ द्वारा रही।
मीडिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत
महासती पुष्पवती गौशाला, सारण, जिला पाली