पनवेल श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी श्री संयमलताजी म. सा.,श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए हैं महासती संयम लता ने जीवन में समय के मूल्य को समझाते हुए कहा कि समय बहुमूल्य है अमूल्य है। समय जीवन का सार है, जीवन की सार्थकता है। समय किसी का नौकर नहीं वह स्वयं अपना मालिक है। समय कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखता, ना ही किसी का इंतजार करता है।मौत आए इससे पहले जीवन मुक्ति के सूत्र को तलाशी लेना, मोक्ष की साधना कर लेना। अस्थियां बिखरने से पहले प्रभु के प्रति आस्था जगा देना। धर्म ध्यान करना है तो आज करना क्योंकि कल का कोई भरोसा नहीं है। साठ घड़ी में से दो घड़ी का वक्त अगर मानव अपने लिए, प्रभु के लिए निकालें तो उसका जीवन सफल हो सकता है। जिन्हें जीवन से प्यार है उन्हें समय के क्षण क्षण को गंभीरता से जीना होगा। पल पल का सार्थक उपयोग करना होगा।
महासती सौरभप्रज्ञा ने कहा मनुष्य जीवन किसी महान उद्देश्य और परम लक्ष्य को पाने के लिए मिला है। जीवन में लंबाई का नहीं, गहराई का महत्व है। तुम कितने साल जिए यह महत्वपूर्ण नहीं है, किस भाव दशा को लेकर जिए यह महत्वपूर्ण है। चातुर्मास आयोजन समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र खैरोदिया ने जानकारी देते हुए बताया आज भगवान पार्श्वनाथ मां पद्मावती के एकासन का आयोजन हुआ जिसमें 200 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।