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ज्ञान वाणी

समण श्रेणी आचार्य श्री तुलसी की अमर पुत्री : साध्वीवर्या

समण श्रेणी आचार्य श्री तुलसी की अमर पुत्री : साध्वीवर्या

 

 साध्वीवर्या श्री सम्बुद्धयशा ने कहा कि कार्तिक शुक्ला द्वितीया महत्वपूर्ण दिवस हैं, विकास का दिवस हैं| आचार्य श्री तुलसी ने जैन शासन और तेरापंथ धर्मसंघ को नई ऊँचाईयां दी| मानव को मानव बनाने के लिए गतिशील रहे| एक कल्पना साकार होती, दूसरी जन्म ले लेती| उनके अनेक अवदानों से विश्व को वरदान मिला है, वरदान सिद्ध भी हो गये| आचार्य श्री तुलसी की यात्रा के तीन आयाम – धर्म क्रान्ति, धर्म समन्वय और मानवता का विकास था| आचार्य श्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा के भी तीन उद्देश्य, अणुव्रत के ही उद्देश्य हैं| समण श्रेणी आचार्य श्री तुलसी की अमर पुत्री हैं| एक क्रान्तिकारी कदम था| समण श्रेणी में दीक्षित हो, आध्यात्मिक क्रांति करें| आचार्य श्री तुलसी ने इस श्रेणी को जन्म दिया और पाला पोसा| आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने सिंचन किया और आचार्य श्री महाश्रमणजी इसके विकास के लिए प्रयासरत है, प्रयत्नशील हैं| साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी भी बहुत प्रेरणा और शिक्षा प्रदान कर रही हैं| मुख्य नियोजिकाजी भी सतत प्रयत्नशील है, इससे जुड़े हैं| समण श्रेणी आचार्य श्री तुलसी की सृजनशीलता का परिणाम हैं, वे प्रोत्साहित करते, तो कमी की ओर इंगित भी करते रहते| समण श्रेणी के भीतर का वैराग्य भाव पृष्ट रहे|

   समण श्रेणी की नियोजिका श्री मल्लिप्रज्ञा, प्रथम बेच की समणी डॉ कुसुमप्रज्ञा ने आराध्य की आराधना में अभिव्यक्ति दी| समणी वृन्द और मुमुक्षु बहनों ने अलग अलग सामूहिक गीतिका की प्रस्तुति दी| मुनि श्री तन्मयकुमार ने गीत का संगान किया| श्री उम्मेदमल बोकड़ीया, श्री धनराज धारीवाल ने भी अपने विचारों प्रकट किये| अणुव्रत दिवस के कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार ने किया|

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