चेन्नई. विल्लीपुरम जैन स्थानक भवन में शनिवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा कि भूख लगने पर पशु भी खाना खाता है और इन्सान भी।
प्यास लगने पर भी दोनों ही पानी पीते हैं। नींद आने पर दोनों ही सोते हैं लेकिन मनुष्य जो करता है वह समझ के साथ करता है। इसलिए वह सफल होता है। जो नासमझ होता है वह भगवान के मिलने पर और उनके साथ रहते हुए भी विफल होता है।
जिसके जीवन में समझदारी होती है वह संकट की घडिय़ों में भी संभल जाता है। राजा प्रदेशी के जीवन चरित्र से गुरुदेव ने यह बात बताई कि उनकी रानी सूर्यकांता ने ही उसको विष दिया उसके बावजूद भी राजा ने अपना संयम नहीं खोया, क्योंकि उसमें समझदारी आ गई थी।
उन्होंने कहा किसी कार्य को अंजाम देने के लिए उसकी पूर्व तैयारी होना बहुत जरूरी है। प्री-प्लानिंग और निरंतर फॉलोअप रखने से कार्य सफल होता है। मंजिल को प्राप्त करना है तो समझदारी को साथ लेकर चलना जरूरी है।
चेन्नई से अष्टमंगल शिविर की प्रीति नाहर, प्रियंका चोरडिय़ा, निर्मला झांबड और सपना ओस्तवाल ने अष्टमंगल शिविर की जानकारी दी।