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समकित रहित जीव भी चलता फिरता मुर्दा है

समकित रहित  जीव भी चलता फिरता मुर्दा है

*🌧️विंशत्यधिकं शतम्*

*📚📚📚श्रुतप्रसादम्🌧️*

🌧️

6️⃣5️⃣

प्राण रहित

देह को मुर्दा कहते है,

वैसे ही समकित रहित

जीव भी चलता फिरता मुर्दा है.!

मुर्दा

लोक में

आदरपात्र नही है,

*वैसे ही*

*ये चल मुर्दा भी*

*आध्यात्मिक क्षेत्र में*

*अनादरणीय है…*

*सम्मान पात्र नहीं है..!*

समकित ही

जीव का वैभव हैं,

सम्मान है,भूषण है.!

*_📔श्री भाव प्राभृत📔_*

 

🌷

*तत्त्वचिंतन:*

*मार्गस्थ कृपानिधि*

*सूरि जयन्तसेन चरण रज*

मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.

 

*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*

श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ

@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर

 

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