चेन्नई. किलपॉक में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य तीर्थभद्र सूरीश्वर ने उपमिति भव प्रपंचा ग्रंथ के बारे में बताया कि संसार में जहां भी जाएंगे सुरक्षा की व्यवस्था होती है। हमें ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जिससे गलत कार्य और गलत विचार हमारे मन में प्रवेश नहीं करे। इसके लिए हमें जरूरत है सद्बुद्धि की। यह हमें हृदय के उद्गार से मांगनी है, तब ही हमें मिलेगी।
जब भी आदमी जोश में अच्छा कार्य करना चाहे तो उसे अटकाना नहीं चाहिए, इससे अंतराय कर्मों का बंध होगा। मोहनीय कर्म के क्षय से कुछ समय के लिए अच्छा कार्य करने का योग बनता है। हमें यह भावना हमारे हृदय में रखनी चाहिए कि सब लोग पुण्यशाली बनें। सिद्धर्षि गणि कहते हैं कि आपको जो कुछ मिल रहा है वह आपने पूर्वभव में दिया है।
अगर नहीं दिया है तो कितनी भी मेहनत कर लो, आपको नहीं मिलेगा। यदि पूर्वजन्म में दान दिया तो इस जन्म में धन, सम्पत्ति मिले, यह आश्चर्य की बात नहीं है। यदि सम्मान दिया तो आपको सत्कार, सम्मान हर जगह मिलेगा।
यदि ऐसा नहीं किया तो परिवार में भी आदर सत्कार नहीं मिलेगा। ये भूतकाल में किए कर्मों का ही परिणाम है। बड़ों का आदर सत्कार किया होगा तो ही आपको यहां मिलेगा।
कई लोग कहते हैं इतना विश्वास के साथ काम करता हूं पर मुझे जस नहीं मिलता, यह इसलिए कि पूर्वजन्म में आपने यह नहीं किया। अगला जन्म सुधारने के लिए दूसरों को सम्मान, आदर देना चाहिए।
आज को एससी शाह भवन में 10 बैरागी मुमुक्षों का वधावणा समारोह आयोजित होगा, जिसमें उनकी दीक्षा तिथि की उद्घोषणा भी होगी। साथ ही मुनि तीर्थ रतिविजय को गणि पंन्यास की पदवी की उद्घोषणा भी की जाएगी।