मां बाप जिंदगी के पेड़ की जे पेड़ कितना ही बड़ा क्यों हो जाए कितना ही हरा भरा क्यों ना हो जाए जड़ काटने से हरा भरा नहीं हो सकताl जिन बच्चों की खुशियों के लिए एक बार अपनी मेहनत की पाई पाई हंसते-हंसते उन पर खर्च कर देता है वही बच्चे जब बाप की आंखें धुंधली हो जाती हैl तो उन्हें कटरा भर रोशनी देने से क्यों कतराते हैं? आज आप कोई यहां बैठे हैं जिनके साथ मां-बाप है पर कोई ऐसे हैं की जिनकी मां बाप नहीं चाहे मन से लड़ लेना बुलाना देना मन को डांट देना पर मां की कितनी अच्छी ममता कितनी हैl
भोली भाली फिर भी वह थाली लेकर आती है कहती है बेटा खा ले म माही होती हैl धरती का भगवान मां बाप ही है इन मां बाप को कभी छोड़ना मत इनको कभी सताना मत पर आज इस कलयुग के बेटे अपनी मां-बाप को क्या क्या सुना जाते हैंl वह तो अपने दिलों से भी उनको निकाल दिया तो घर से निकाल दिया तो कौन सी बड़ी बात है साध्वी आगमश्री जी ने अपने वक्तव्य के द्वारा बतायाl सब कुछ भूलना पर मां-बाप को कभी मत भूलनाl
साध्वी धैर्या श्री जी ने मां-बाप पर एक गीतिका पेश की मंगलाचरण की कड़ी में डॉक्टर शीतल साखला ने मंगलाचरण गया । सुरेखा बेदमुथा इन्होंने एक गीतिका पेश की अशोक जी बाठियाजी ने भी अपना वक्तव्य रखा संगीतकार शैलेश सेठिया इन्होंने अपने संगीत के द्वारा सभा को मंत्र मुक्त कर दिया सभी की आंखों से अश्क बहने लगे माता-पिता का पूजन किया गया डॉ भिकमचंदजी सकलेचा ने अतिथियों का सत्कार किया । खुशबू जी के द्वारा बच्चों ने श्रवण बाल की नाटिका प्रस्तुत की राखी गादिया ने अपने भाव व्यक्त किये।