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सबोके प्रति दया, करुणा, वात्सल्य, प्रेम है वे ही भवि आत्मा है- सौम्य साधिका पु. पुण्यस्मिताजी म.सा.

सबोके प्रति दया, करुणा, वात्सल्य, प्रेम है वे ही भवि आत्मा है- सौम्य साधिका पु. पुण्यस्मिताजी म.सा.

सबोके प्रति दया, करुणा, वात्सल्य, प्रेम है वे ही भवि आत्मा है- सौम्य साधिका पु. पुण्यस्मिताजी म.सा.

आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे महाराष्ट्र प्रवर्तिनी पु. प्रतिभा श्री जी की सुशिष्याएं सौम्य साधिका पु. पुण्यस्मिताजी, ओजस्वी वक्ता प्रणिधी जी म.सा. ज्ञान पिपासु संप्रज्ञाजी म.सा. आदि ठाणा 3 सातापुर्वक विराजमान है! आज के प्रवचन मे पु. पुण्यस्मिताजी म.सा. ने भवि आत्मा किसे कहते है उसकी परिभाषा समजायी! छ काया की रक्षा यह हमारा परम कर्तव्य है! उपयुक्त वस्तुओं की हमें मर्यादा करनी होगी! जल है तो जीवन है उसका उपयोग सॅंभालकर किया जाय आदि बाते उदभोतित की!

पु. प्रणिधी म.सा. का भी प्रवचन हुआ! जल का वापर आवश्यक उतना ही हो! एक लोटा पानी सिर्फ मॅुह धोने के लिए वापरा जाय इसके प्रत्याख्यान प्रवचन मे उपस्थित धर्म प्रेमियों को दिये! प्रतिदिनी 12 नवकार मंत्र स्वअक्षर से लिखे जाय यह नियम पालने हेतु “ नवकार डायरी” म.सा. द्वारा धर्म सभा मे उपस्थित विश्वस्तो संग उपस्थित भक्तो को प्रदान की गयी!

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