चेन्नई. पुरुषवाक्कम के एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर एवं अन्य सहवर्तिनी साध्वीवृंद के सानिध्य में संवत्सररी महापर्व मनाया गया। इस मौके पर साध्वी डॉ. सुप्रभा ने कहा संवत्सरी का पर्व तन, मन और जीवन शुद्धि का दिन है। स्वयं का निरीक्षण, परीक्षण करें, स्वयं को देखें।
जो अर्थयुक्त है उसे स्वीकार करें और व्यर्थ को छोड़ें। आज के समय में बहुत प्रदूषण है, लेकिन सबसे ज्यादा आदमी के मन, वचन और विचारों में प्रदूषण सबसे ज्यादा है। स्वयं के मन पर चोट करें तो ही संवत्सरी मनाना सार्थक होगा। साध्वी डॉ.उदितप्रभा ने कहा संवत्सरी का पर्व नई चेतना, नई भावना और नई चमक लिए दस्तक दे रहा है।
साध्वी डॉ. हेमप्रभा ने कहा संवत्सरी महापर्व वर्ष में एक बार आने वाला विशिष्ट यज्ञ है जिसमें सभी पापकर्म और विकारों की आहुति दी जाती है। पूर्ण उत्साह, परिपूर्ण क्षमा भावना से जीव की शुद्धि की जाती है। पर्वाधिराज अपने आप से मिलने का पर्व है। स्व स्वरूप में रमण, चिंतन करोगे तो पता लगेगा कि आत्मा कितनी स्वभाव में है और कितनी विभाव में।
संवत्सरी का अर्थ है- दुश्मन को भी अपने पुत्र समान प्रिय समझना। इस दिन क्षमा दी जाती है और क्षमा ली जाती है। इस दिन तीन क्षमा जरूर मांगें-पहली स्वयं आत्मदेव से। दूसरी परमात्मा से, जिनके दिखाए मार्ग की अवहेलना हमने की हो। तीसरी संसार के प्रत्येक प्राणी से। भीतर की नफरत मिटाकर जिनसे आपका द्वेषभाव है उनसे जरूर क्षमा मांगे। पुराने पापों को धोने और नए पापों को रोकने का संकल्प लेने का दिन है संवत्सरी।
साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने अंतगड़ सूत्र का वाचन किया। उन्होंने कहा कि दो प्रकार के व्यक्ति स्वर्ग से भी ऊंचा स्थान प्राप्त करते हैं-एक जो समर्थ होकर दान देनेवाला हो, दूसरा शक्तिशाली होकर क्षमा करने वाला हो। कठोर व्यवहार पर भी क्षमा करे वही सबसे बड़ा है। यदि मोक्ष मंजिल को प्राप्त करना है तो मार्ग में आनेवाले छोटे-छोटे निमित्तों की ओर ध्यान नहीं दें, उलझें नहीं।
संवत्सरी पर्व के दिन अपने कषायों को छोड़ें और क्षमाधर्म को प्राप्त करें। क्रोध में तीन बातें ध्यान रखें- पहली क्रोध का निमित्त खत्म हो जाए, दूसरी किसी का क्रोध दूसरे पर न निकालें और तीसरी जिस स्थान पर आया वहां से अलग चले जाना। इन तीनों स्थितियों में क्रोध को नहीं करना है। इससे सामाजिक, पारिवारिक जीवन में शांति और प्रसन्नता, प्रेम बना रहेगा।
तीन फैक्ट्री आज के दिन चालू करें- दिमाग में आइस फैक्ट्री, जीभ में शुगर फैक्ट्री और दिल में मोम फैक्ट्री। दिमाग ठंडा रखें, मुंह से मीठा बोलें और दिल में करुणा, अनुकंपा रखेंगे तो किसी प्रकार के टेंशन जीवन में नहीं आएंगे। धर्मसभा में साध्वी उन्नतिप्रभा ने क्षमापर्व पर भजन श्रवण कराया।
चातुर्मास समिति ने तपस्यार्थियों का सम्मान किया। धर्मसभा में चातुर्मास समिति अध्यक्ष नवरतनमल चोरडिय़ा, पारसमल सुराणा, हीराचंद पींचा, एम.नवरतनमल-जेठमल चोरडिय़ा, अजीत चोरडिय़ा, रमेश कांकरिया, पदमचंद-उत्तमचंद सुराणा, महेन्द्र पुगलिया, सुरेन्द्र-भागचंद चोरडिय़ा आदि उपस्थित थे।