बेंगलुरु। आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने शनिवार को अपने प्रवचन में कहा कि सपना तो हर कोई देखता है, किसी के आँखों में एक सपना होता हैं तो किसी के हजार सपने भी होते हैं, किसी के सपने छोटे होते हैं और किसी के बड़े-बड़े सपने भी होते हैं। बचपन से ही हम बहुत से चीजों से मोहित होकर हजारों सपने बुनने लगते हैं।
कुछ सपने और चाहत हमारे उम्र के साथ ही बढ़ते चले जाते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए हम आखिर तक कोशिश करते रहते हैं। आचार्यश्री ने आगे कहा कि सपने का मतलब वह सपने नहीं जो हम आँखें बंद करने के बाद देखते हैं बल्कि हमें वे सपने देखने चाहिए जिसे हम अपने जीवन में किसी भी तरह से हासिल करना चाहते हैं और इसी सपने के जरिये अपना जीवन सफल और सुखी बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सपना एक ऐसा जरिया है जो हमे जिंदगी जीने का मकसद देता है। सपना लक्ष्य की तरह होता है और बिना किसी लक्ष्य के हम अपने जीवन में कुछ भी नहीं बन पाएंगे। हमें यही सीखना चाहिए कि सपने देखो बड़े-बड़े सपने देखो, ये सपने ही हैं जो तुम्हे एक दिन बेहतर इंसान बना सकते हैं और केवल सपने देखना ही नहीं है बल्कि उन्हें पूरा करने की चाह, हौसला और लगन भी होनी चाहिए।
जो तुम्हारे सपनो को साकार बनाने के लिए मदद करेंगे। जब आप हारने के डर के आगे अपने सपनों को अहमियत देते हैं तो आपके जीवन में चमत्कार होना निश्चित है। सपना देखना जरुरी है, जब आप पुरे दिल से एक सपना देखते हैं तभी जाकर आप उसे पूरा करने में सक्षम होते हैं।
आचार्यश्रीजी ने यह भी कहा कि आपके सोच और आपके सपने में वह ताकत है जो उसे हकीकत में बदल सकता है अगर आप खुद पर और अपने सपने में भरोसा करते हैं तभी ये मुमकिन है।
अगर आपको खुद पर और अपने सपने पर शक है और आप उसे पूरा करने से डरते हैं या उसके साथ जुड़े नकारात्मक चीजों के बारे में ही सिर्फ सोचते हैं तो आपका जो कुछ बनने का ख्वाब है वो महज एक ख्वाब बनकर ही रह जायेगा।