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सनातनी व धर्मनिष्ठ बनें, देश विरोधी ताकतों से रहें सावधान : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. 

सनातनी व धर्मनिष्ठ बनें, देश विरोधी ताकतों से रहें सावधान : राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. 

भारत के 20 राज्यों एवं पंजाब के कोने-कोने से आए भक्तों की उपस्थिति में सानंद देवी भागवत कथा की पूर्णाहुति 

सूर्य ग्रहण पर करें मंत्र जाप, भैरवाष्टमी पर काशी पहुंचने वाले भक्तों को मिलेगा समृद्धि का अद्भुत लाभ

कृष्णगिरी। फाजिल्का जिले के कीकरवालारूपा कस्बे में श्री कृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेव श्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहब के श्रीमुखारविंद से नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत महापुराण, हवन यज्ञ अनुष्ठान की महा पूर्णाहुति सानंद सम्पन्न हुई। इस दौरान भारत के 20 राज्यों एवं पंजाब के कोने–कोने से यहां पहुंचे हज़ारों श्रद्धालुओं की अभिनव विशाल उपस्थिति रही। इस दौरान पूज्य गुरुदेवजी ने कहा कि भक्ति ईश्वर के प्रति विश्वास दिलाती है, विनय एवं विवेक भक्ति में ही है। मां मेरे साथ है, गुरुदेव मेरे साथ है.. यह स्मरण रखते हुए ऐसा विश्वास रखेंगे तो अंधेरे में भी ताकत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि ईश्वर को मानना ही सिर्फ काफी नहीं है, आस्तिक शब्द का अर्थ यही है अस्तित्व ईश्वर का ही है। डॉ वसंतविजयजी महाराज ने कहा कि आत्मा का स्वभाव खुश रहना है। आत्मा खुशी को ढूंढती है, व्यक्ति के लिए खुशी ही जीवन का धन होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि खुश होने के लिए किसी प्रयास की भी जरूरत नहीं है। साधना के शिखर पुरुष डॉ वसंतविजयजी महाराज ने इस मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं को उनकी कुल देवी को प्रसन्न कर अनेक रुके हुए कार्यों को चमत्कारिक रूप से करने वाली कुलदेवी मुद्रा की दुर्लभ जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि कुलदेवी मुद्रा से व्यक्ति का शरीर तेजोमय एवं रोग मुक्त होगा, जिसे नियमित 48 दिनों तक 5 मिनट तक करने पर निश्चित रूप से व्यक्ति के हर प्रकार के संकट दूर होंगे। इस दौरान अष्टमी विशेष भैरव देव के विभिन्न रूपों का महिमा गुणगान करते हुए पूज्य गुरुदेवजी ने व्यक्ति के जीवन में शांति, ऐश्वर्य एवं शत्रुओं का नाश कर जीवन को आनंदमय बनाने वाले भैरवभक्ति की प्रेरणादायी सीख भी दी। विद्या सागर संतश्रीजी ने कहा कि संस्कारित भारत देश में धर्ममय माहौल में सामाजिक सेवा एवं प्रभु भक्ति के साथ–साथ संगत, आचार विचार, व्यवहार, रहन-सहन को व्यसन मुक्त रखते हुए प्रेम सद्भाव से ही रहना चाहिए तथा आरोग्यमय सुखी व सुरक्षित जीवन के लिए सनातन धर्म को सद्भाव पूर्वक अपनाने की बात उन्होंने कही।

राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि देश विरोधी ताकतों से सावधान रहते हुए सच्चे व श्रेष्ठ संतों की दृष्टि व्यक्ति को पानी चाहिए तथा सद्गुरु के चरणों में वंदन कर अपना जीवन धन्य करना चाहिए। साथ ही धर्म विरुद्ध कोई बात करें तो ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनल थॉट योगा पर लाइव प्रसारित किया गया। लक्की ड्रॉ के माध्यम से अनेक भाग्यशाली विजेताओं को स्वर्ण, चांदी के सिक्के व होम अप्लायंसेज के उपहार वितरित किए गए। देवी भागवतजी की आरती एवं हवन यज्ञ का लाभ श्रीमती सुनीता मनमोहन एवं अमित सिहाग परिवार ने लिया।

ग्रहण में करें एकांत में मंत्र जाप..

राष्ट्रसंत, सर्वधर्म दिवाकर संतश्री डॉ वसंतविजयजी महाराज साहब ने इस मौके पर कहा कि आगामी 25 अक्टूबर को ग्रहण समय में घर में एकांत में ऊन के आसन पर बैठकर मंत्र जाप करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने ॐ पद्मावत्ये नमः सिद्ध मंत्र भी बताते हुए कहा कि ग्रहण समय में 1 घंटे तक इस दिव्य मंत्र जाप से 25 वर्ष के मंत्र आवरण जितना फल प्राप्त होगा। वचन सिद्ध संतश्रीजी बोले यह ग्रहण समय की शक्ति है। साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी 9 से 16 नवंबर भैरवाष्टमी महापर्व पर काशी पहुंचने वाले श्रद्धालु भक्तों को भैरव देव की कृपा से सुख समृद्धि प्रदायक आरोग्यमय शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

दीपावली की त्रिदिवसीय पूजा 22 अक्तूबर की शाम से करें शुरू..

विद्यासागर, मंत्र शिरोमणि संत श्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब ने इस दौरान पंजाब, राजस्थान प्रान्त सहित 14 राज्यों के विभिन्न शहरों–गांवों से आए गुरुभक्त श्रद्धालुओं को दीपावली के का तीन दिवसीय महापर्व को 22 अक्टूबर की शाम 6:30 बजे से घर के देवी–देवताओं की पूजा की अनुमति व मां लक्ष्मीजी के आह्वान की प्रार्थना के साथ प्रारंभ करने की प्रेरणा दी।

उन्होंने कहा कि कम से कम 6, 12, 21, 27, 51 अथवा 108 दीपक करने तथा साथ ही घर के समीप के मंदिरों में भी कम से कम एक–एक दीप दान करने की सीख दी। लक्ष्मीजी को कमल का पुष्प, मोगरा पुष्प, इत्र, चंदन तथा बिल्वपत्र प्रिय होने की जानकारी देते हुए इन्हें मां को दिवस विशेष पर श्रद्धा भक्ति से अर्पण करने की भी जानकारी दी। त्रिदिवसीय पूजा की संपन्नता 24 अक्टूबर की रात्रि 7.30 बजे से शुरु कर विभिन्न भोग अर्पण आदि कर मां लक्ष्मीजी से सदा घर में विराजित रहने की प्रार्थना करते हुए पूर्ण करने की बात उन्होंने कही।

इस बार भैरवमय होगा काशी ; लगेगा राजशाही भंडारा..

राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेव डॉ वसंत विजयजी म.सा. द्वारा प्रतिवर्ष भैरवाष्टमी का महापर्व हर्षोल्लास से विराट स्तर पर भक्तिमय, हवन यज्ञ अनुष्ठान व अन्नदान के साथ विभिन्न बड़े-बड़े शहरों में मनाया जाता रहा है। इस बार यह आयोजन काशी (वाराणसी) में व्यापक स्तर आगामी 9 से 16 नवंबर तक पर मनाया जाएगा, जहां विश्वस्तरीय 108 फीट की भैरव देव की विशाल प्रतिमा की प्रतिष्ठापना के साथ 9–9 फीट के अष्ट भैरव स्थापित होंगे।

साथ ही चार–चार फीट के 1,08,000 भैरव देव की मूर्तियां निर्मित की जाएगी। काशी के कोतवाल भैरव देव की नगरी में कालभैरव देव की प्रसन्नता के लिए विशाल 1,08,000 दीपदान, इतने ही इमरती का प्रसाद भोग तथा 1,08,000 पुष्प अर्पण के साथ राजशाही भंडारा 8 दिनों तक सुचारु रुप से संचालित होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु प्रसाद पाएंगे। इस दौरान श्रीभैरव महापुराण कथा का वाचन भी पूज्य गुरुदेव के श्रीमुखारविंद से होगा। आयोजन में अष्ट दिवसीय सिद्ध भैरवदेव की दिव्य कृपा प्रदायक ताम्र यंत्र भी आध्यात्म योगीराज संतश्री डॉ वसंतविजयजी महाराज काशी में आठ दिनों तक उपस्थित अपने समस्त भक्तों को प्रदान करेंगे। वाराणसी के इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मोबाईल 90513 90513 से पंजीयन करवाकर विस्तृत जानकारी के साथ काशी पहुंचा जा सकता है।

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