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सद्गुण हो तो जिनवाणी मिलना मुश्किल नहीं: डॉ. श्री गौतममुनिजी म.सा

सद्गुण हो तो जिनवाणी मिलना मुश्किल नहीं: डॉ. श्री गौतममुनिजी म.सा

जालना : गृहस्थ आश्रम में मनुष्य को सुख की प्राप्ति नहीं होती है. जिस प्रकार सम्यक्दर्शन के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता, उसी प्रकार आत्म-ज्ञान प्राप्त करने के लिए अच्छे कर्म करने की आवश्यकता होती है, डॉ.श्री. गौतम मुनिजी म.सा. उन्होंने यहां बात की| वे गुरु गणेश नगर के तपोधाम में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रवचन को संबोधित कर रहे थे| इस समय, डब्ल्यू. आदरणीय वैभवमुनिजी एम.सा.ं, उपदेश प्रभावक श्री. दर्शन प्रभाजी म.सा.ं सेवाभावी श्री गुलाबकंवरजी म.सा.ं सेवाभावी श्री हर्षिताजी म.सा.ंवह मौजूद था|

आगे बोलते हुए, डॉ. श्री. गौतम मुनिजी म.सा.ं उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम दुखों से भरा है| फिर भी मनुष्य गृहस्थ आश्रम में रहना चाहता है| हम यह कतई नहीं कहेंगे कि सभी को गृहस्थ आश्रम छोड़कर दीक्षा लेनी चाहिए| लेकिन ऐसे आश्रम का क्या फायदा जिसमें सुख ही न हो! जहां पुण्य कर्म होते हैं, वहां पुण्य प्राप्त करना कठिन नहीं होता, सत्य को नकारना कठिन नहीं होता| लेकिन असत्य का क्या करें? आज नई शादी हुई है| उसकी पत्नी सुबह जल्दी उठकर काम करने लगी| लेकिन जरूरी नहीं कि वह सर सूरज की तरफ मुंह करके भी उठे| अर्थात् सुख कहेंगे? मनुष्य का स्वभाव कितना सीधा होना चाहिए| ईमानदार लोग कुछ भी कर सकते हैं| जिनके स्वभाव में सत्यनिष्ठा नहीं है, वे बेचारे क्या करेंगे! केवल ज्ञान प्राप्त करना ही लाभ नहीं है, बल्कि जीवन में समकदर्शन होना चाहिए| सच कभी झुकता नहीं| और असत्य का कोई अंत नहीं है| इस समय डॉ. गौतम मुनिजी म.सा.ं द्वारा किया गया

इससे पहले, परम पावन वैभवमुनिजी म.सा.ंउन्होंने दीपसूत्र पर आधारित विषय का मार्गदर्शन किया| उन्होंने कहा कि नियमों के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता| नियमों से बाहर जाने वालों पर भगवान कैसे प्रसन्न होंगे, नियमों का पालन नहीं करते| यदि आप आत्मा को समृद्ध करना चाहते हैं तो आप एक निर्दोष आत्मा को क्यों प्रताड़ित करते हैं| किसी को बेवजह और जानबूझकर प्रताड़ित न करें| यदि आप साझा भोजन करते हैं, तो आप इसकी आलोचना क्यों करें, आप क्यों लड़ें, इस धारणा को हटा दें कि आप मजबूत होकर बहुत बड़े हो गए हैं| उन्होंने कहा कि आहार हमेशा अच्छा होना चाहिए, आहार क्या होना चाहिए, कभी झूठ नहीं बोलना, जानवरों पर दया करना, झूठी गवाही न देना और अपने या दूसरों के करीब कुछ भी प्रतिज्ञा नहीं करना चाहिए| एक अच्छा आहार हमेशा अच्छा होता है| इसलिए इसे पुरस्कृत किया जाना चाहिए| जमीन जायदाद को गिरवी न रखें, न ही किसी को गिरवी रख दें, समय के बाद उत्तराधिकार जारी रहेगा लेकिन किसी की संपत्ति को आत्म-उन्नयन के लिए गिरवी रखना और कभी भी झूठी गवाही देना अच्छी बात नहीं है| उसने क्या किया? इससे किसी की जिंदगी तबाह हो सकती है| नहीं, ऐसा होता है| इसलिए झूठी गवाही मत दो| झूठ बोलना अच्छा गुण नहीं है| यह एक विकार है और यह किसी का भी जीवन बर्बाद कर सकता है| अगर किसी की शादी अच्छी चल रही है तो कम से कम झूठ मत बोलो, झूठा प्रचार मत करो| जान लें कि इससे किसी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है, वैभवमुनिजी म.सा.ं कहा| इस समय वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के पदाधिकारी, श्रावक-श्राविका बड़ी संख्या में उपस्थित थे|

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