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ज्ञान वाणी

सद्गुण रूपी मोतियों से भरें जीवन रूपी घट को: आचार्यश्री महाश्रमण 

सद्गुण रूपी मोतियों से भरें जीवन रूपी घट को: आचार्यश्री महाश्रमण 

डवापल्ली, तिरुवनंतपुरम (केरल): केरल की धरती पर गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ शुक्रवार को कोल्लम जिले के कल्लुवातुक्कल स्थित अपर प्राइमरी स्कूल से मंगल प्रस्थान किया। आरोह-अवरोह से युक्त रास्ते पर कुछ किलोमीटर के विहार के बाद आचार्यश्री अपनी अहिंसा यात्रा के साथ तिरुवनंतपुरम जिले की सीमा में मंगल प्रवेश किया।

तेज धूप में लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री कडवापल्ली स्थित के.टी.सी.टी. आॅडिटोरियम में पधारे।

आचार्यश्री ने आॅडिटोरियम परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि साधु की पर्युपासना का अनेक लाभ होते हैं। साधु की पर्युपासना में से कुछ सुनने को मिलता है। सुनने से ज्ञान होता है, फिर विशेष ज्ञान होता है।

ज्ञान विशेष होता है तो आदमी बुराइयों को भी छोड़ देता है। साधु की संगति का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। साधु की संगति आदमी को न भी मिले तो सज्जनों की संगति करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को दुर्जनों से बचने का प्रयास करना चाहिए।

साधुओं की संगति बुद्धि की जड़ता का हरण कर लेती है। सत्संगति से बुद्धि का विकास होता है। सत्संगति सच्चाई का सिंचन करती है। इससे आदमी की वाणी में सच्चाई आती है। अच्छे व्यक्तियों की संगति से मान-सम्मान में वृद्धि होती है। सत्संगति आदमी को पापों से बचा लेती है।

सत्संगति चित्त को निर्मल बनाती है। इसलिए आदमी को सत्संगति करने का प्रयास करना चाहिए। अपने जीवन में गुणवत्ता का बढ़ाने का प्रयास करे। आदमी गुणों से साधु और अगुणों से असाधु हो जाता है।

आदमी को अपने जीवन में सद्गुणों का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपने जीवन रूपी घट को सद्गुण रूपी मोतियों से भरने का प्रयास करना चाहिए।

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन कुछ घंटे के पश्चात् आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अटिंगल के विधायक एडवोकेट श्री बी.सत्या, कडवापल्ली मस्जिद के मुख्य इमाम श्री अबु रवियुम एफ.बी., के.टी.सी.टी. के चेयरमेन श्री पी.जी. नाज, सेक्रेट्री श्री ए.एम.ए. रहिम व के.टी.सी.टी. काॅलेज के चेयरमेन श्री एम.एस. सेफिर आदि उपस्थित हुए।

आचार्यश्री की उन लोगों से कुछ देर वार्तालाप का भी क्रम रहा। आचार्यश्री ने उन्हें अहिंसा यात्रा, जैन साधुचर्या आदि की अवगति प्रदान की। के.टी.सी.टी. के चेयरमेन आचार्यश्री को उपहृत करने के लिए कुछ उपहार भी लाए थे, किन्तु आचार्यश्री ने उनके भावनाओं को स्वीकार कर सभी को अपने मंगल आशीष से अभिसिंचन प्रदान किया।

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