श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन जैन संघ में आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने प्रवचन के माध्यम से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हरेक इंसान की कोशिश होती है कि उसका अपना घर हो। एक पिता अपने परिवार को बढ़ाता है और अपने परिवार और बच्चों की सुरक्षा के लिए काम करता है। वह जानता है कि उसके परिवार और संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक घर का होना बहुत जरूरी है। वहां सिक्यॉरिटी के साधन लगवाता है। आज के जमाने में सुरक्षा अलार्म भी लगाए जाते हैं ताकि चोरों को घर में घुसने से रोका जा सके। आचार्य श्री ने आगे समझाते हुआ कहा कि जैसे हम चोरों से अपने घर को सुरक्षित रखना चाहते हैं, ठीक उसी प्रकार अपनी आत्मा की भी सुरक्षा करनी चाहिए।
अनजाने में हम चोरों को अपने भीतर घुसने देते हैं और वे हमारे भीतर आकर तबाही मचा देते हैं। ये चोर हैं- काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार। ये चोर जब हमारे अंदर अपना अधिकार जमा लेते हैं, तो हमें गुस्सा आता है, हम झूठ बोलते हैं, हम दूसरों को धोखा देते हैं और अहंकार के कारण हम कई तरह की गड़बड़ियां करते हैं। परिणाम यह होता है कि ये चोर हमें हमारे सच्चे घर से दूर कर देते हैं। हम नकारात्मक विचारों से भर जाते हैं। ये चोर हमारे विचारों पर कब्जा कर लेते हैं। हम सद्गुणों को अपने जीवन में ढालना चाहते हैं, निष्काम सेवा करना चाहते हैं लेकिन ये हमें जरूरतों और इच्छाओं के जाल में फंसाए रखते हैं।
हमारे मन की शांति को भंग कर देते हैं। ऐसे में हम अपने आपको असफल, असहाय और निराशाओं से घिरा हुआ पाते हैं। मन की स्थिति को बदलने के लिए आचार्य श्री ने कहा कि हर आदमी के लिए उम्मीद है। बुरे से बुरे के लिए भी उम्मीद है। पश्चाताप करो, प्रार्थना करो और आगे पाप मत करो। इस अनोखे तरीके से चोर और डाकू भी नेक इंसान में बदल जाते हैं। इन चोरों के चुंगल से बचने का एक और तरीका है, किसी संत-महापुरुष का सत्संग। सत्संग में हमारा मन शांत होता है।