Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

‘सत्य’ महाव्रत की सम्यक आराधना से जीवन पूजनीय बन जाता है: डॉ. वरुण मुनि

‘सत्य’ महाव्रत की सम्यक आराधना से जीवन पूजनीय बन जाता है: डॉ. वरुण मुनि

चेन्नई. कई बार कुछ लोग कह देते हैं महाराज! आप कहते हो सत्य बोलो परंतु झूठ के बिना काम ही नहीं चलता। घर-परिवार हो या समाज पढ़ाई, नौकरी, शादी हो या काम-धंधा, झूठ का सहारा तो लेना ही पड़ता है। लेकिन बंधुओं ! आज भी लोग राजा हरिश्चंद्र का नाम आदर और श्रद्धा से लेते हैं किस कारण?

उनकी सत्यवादिता के कारण युगों-युगों के लिए इतिहास के पृष्ठों में उनका नाम ‘अमर’ हो गया। यह विचार – ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन में साहुकारपेट में आयोजित प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा झूठ बोलकर आप संसार को तो खुश कर सकते हैं परंतु कहीं ऐसा न हो कि संसार खुश करने के चक्कर में परमात्मा हमसे नाराज हो जाएं। कभी- कभी जब कोई दंपति ये शिकायत करते हैं कि महाराज! बच्चे को समझाओ, ये झूठ बहुत बोलता है तो मैं पूछता हूं इसे झूठ बोलना सिखाया किसने।

एक वो जमाना था जब बच्चे सिखाने से सीख जाते थे। आज का समय वैसा नहीं है। बच्चे सिखाने से कम, दिखाने से ज्यादा सीखते हैं। जब वे मम्मी पापा को, घर के अन्य सदस्यों को झूठ, बोलते देखते हैं तो धीरे- धीरे वे भी झूठ बोलना सीख जाते हैं। गुरुदेव ने कहा अच्छा, सच बताना जब घर में कोई क्रॉकरी टूट जाए या कांच का गिलास फूट जाए तो आप क्या करते हैं?

कल्पना करें – घर में 2 बच्चे हैं जब वे देखते हैं कि सच बोलने पर डांट पड़ी, पिटाई हुई और झूठ बोलने वाला बच गया तो अगली बार वह बच्चा भी झूठ का सहारा लेता है। क्या आपने कभी सच बोलने पर अपने बच्चों को एप्रीशिएट किया है? क्या उन्हें सत्य का ईनाम कभी कोई गिफ्ट दिया है? तो भला बताईए-फिर वे सत्य से कैसे जुड़ेंगे? प्रभु महावीर फरमाते हैं- जो ‘सत्य महाव्रत’ की पूर्ण साधना करते हैं, वे जन- जन के पूजनीय, सम्मानीय एवं प्रशंसनीय बन जाते हैं। एक सद् गृहस्थ यदि पूर्ण सत्य की साधना न भी कर पाए तो

कम से कम उसे कन्या के लिए, भूमि के लिए पशु के लिए, अमानत में ख्यानत और झूठी साक्षी (झूठी गवाही) इन पांच बातों के लिए तो अवश्य ही झूठ नहीं बोलना चाहिए। श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि के मंगल पाठ द्वारा धर्म सभा का समापन हुआ।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar