चेन्नई. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी यदि हमने मुस्कराने की कला सीख ली तो निश्चित ही यह हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है। श्रीपेरम्बुदूर पहुंचे आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि अनूकूल हालात में हर कोई मुस्करा सकता है, लेकिन मुश्किल हालात में भी मुस्करा ले वही सर्वश्रेष्ठ हैं। यदि प्रतिकूल हालात में मुस्कराने की कला हमारे पास नहीं हैं तो यह निश्चित मानिए कि अनुकूल हालात में भी आप कभी मुस्करा नहीं सकते। दूसरों से अपेक्षा रखने वाला हमेशा दुखी एवं अशांत रहता है। आप जब तक अच्छे हैं तब तक आप दूसरों की अपेक्षा पूर्ण करते हैं। अपेक्षा, अधिकार एवं अहंकार के कारण ही घर-परिवार में संबंधों में दरारें पड रही है। दूसरों पर अधिकार जमाना दुख का कारण हैं। अधिकार एवं आधिपत्य दोनों दुख के कारण हैं। इंसान अपेक्षा पूरी करने में असमर्थ होता है। तब वह नजरों से गिर जाता है। आचार्य ने कहा, संपन्नता का आधार अत्यधिक धन है। सत्ता का आधार अत्यधिक मतों की संख्या है। धार्मिकता का आधार सरलता है। अच्छाई का आधार परोपकारिता है। नुकसान की संभावना के बीच बच जाएं तब आनन्दित होना स्वाभाविक है। प्रबल पुण्योदय में बड़े-बड़े उपसर्ग टल जाते हैं। यदि ऐसे अवसर पर हम प्रसन्न नहीं होते तो समझना इस पुण्योदय में कभी सफल नहीं होने वाले हैं।
सत्ता का आधार अत्यधिक मतों की संख्या: आचार्य पुष्पदंत सागर
