पूर्ण अनुशासन, समर्पण व लगन से ही जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने का रास्ता खुलता है। सफलता के ये सुझाव आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरिजी ने श्री सुमति वल्लभ नोर्थटाउन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ में प्रवचन के दौरान व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यदि जीवन में कुछ कर गुजरने का जुनून है तो कोई लक्ष्य कितना भी कठिन क्यों न हो, उसे प्राप्त कर सकते हैं। जब तक समर्पण नहीं होता, तब तक सच्चा सुख नहीं मिलता। सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए समर्पण किया जाता है। लेकिन यहां जानने योग्य बात यह है कि समर्पण यदि कपटपूर्ण है तो सुख भी दिखावा मात्र ही होगा। समर्पण से ही परमात्मा सहाय बनते हैं। आचार्य श्री ने उदाहरण से समझाते हुए कहा कि एक बन्दर का बच्चा अपनी माँ से चिपका रहता है। वह जानता है कि माँ के साथ वो सुरक्षित रहेगा।
कहाँ, क्या, कब, कैसे इन सब का निर्णय वह माँ पर छोड़ देता है। यह शरणागति का एक अच्छा उदाहरण है।दूसरी ओर एक बिल्ली का बच्चा भी यही करता है लेकिन अपनी माँ से चिपकने के, वह स्वयं को छोड़ देता है। माँ उसे उठाकर सुरक्षित जगह पर पहुँचाती है। वही नुकीले दांत जो शिकार करते हैं बच्चे को कोई हानि नहीं पहुँचाते। यह भी एक समर्पण है। दोनों ही समर्पण के प्रकार हैं पर इनमें एक मूलभूत अंतर है; बन्दर की स्थिति में ज़िम्मेदारी उस बच्चे की है कि वह अपनी माँ से चिपका रहे अन्यथा संभव है कि वह सुरक्षित नहीं रहेगा। जबकि, बिल्ली के मामले में, यह सिर्फ़ माँ की ज़िम्मेदारी है।
बिल्ली का बच्चा कुछ नहीं करता है। आपको बन्दर बनना है या बिल्ली का बच्चा ? इसका उत्तर है बुद्धिमान बनिए और अपना तरीका स्वयं ढूंढिये। सभी के लिए सफलता के अपने मायने होते है। जीवन में विकास करना ही सफलता है। आप जिस स्तर पर है, उससे आगे बढ़ना ही सफलता है।मगर सच्ची सफलता वही है जो हमें सुख, प्रसन्नता और शांति की तरफ लेकर जाये। अगर आगे बढ़ने हमें जीवन में सुख का अनुभव होता है, तो वह सफलता है। सफलता प्राप्त करने के अनेक सूत्र है। आप जिस भी स्तर पर है, उस स्तर के अनुसार आप सफलता का सूत्र गढ़ सकते है।
हमें शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को मजबूत बनाना होगा। जीवन में आने वाली विपत्तियों के लिए तैयार रहना होगा। सफलता प्राप्त करना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सफलता हमारे जीवन को नई दिशा देती है। सफलता हमें स्वतंत्र बनाती है। हम सभी को जीवन में सफलता को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए। सफलता हमें संपन्न, प्रसन्न और नई ऊर्जा प्रदान करता है। हम एक बहते हुए नदी की तरह बन जाते है जो सदा स्वतंत्र रूप से बहती रहती है। संघर्ष हमारे जीवन की सफलता को सार्थक बनाते है।