चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा जीवन में श्रद्धा से ही सिद्धि की प्राप्ति होती है। जिनके जीवन में परमात्मा के प्रति सच्ची श्रद्धा होती है उन्हें कहीं भटकना नहीं पड़ता बल्कि उनके जीवन की सभी रुकावटें अपने आप ही कटती चली जाती हैं।
जीवन की रुकावटों को दूर करना है तो सच्ची श्रद्धा होना बहुत ही जरूरी है। जिनके जीवन में धर्म के प्रति श्रद्धा होती है वे अनुकूल और प्रतिकूल स्थिति में धर्म के साथ रहते हैं। जिनकी श्रद्धा अटूट नहीं होती वो थोड़ी भी प्रतिकूल स्थिति आने पर घबराने लगते हैं। याद रहे परिस्थिति कैसी भी हो लेकिन धर्म से श्रद्धा कम नहीं करनी चाहिए।
श्रद्धा मजबूत रखने वाला इंसान सिद्धि प्राप्त कर लेता है। मनुष्य की श्रद्धा देव, गुरु और धर्म के प्रति सच्ची होनी चाहिए। दु:ख सुख तो संसार के नियम हैं और आते जाते रहते हैं। हालात कैसे भी हो पर अपने गुरु धर्म और देव के प्रति श्रद्धा कम नहीं करने वाले सफल हो जाते हैं। स्वार्थ में आकर मनुष्य संसार के सुखों के लिए भटक रहा है।
जब तक संसार के सुख के पीछे मनुष्य भागेगा उसके कर्मो की निर्जरा नहीं हो सकती। कर्मो की निर्जरा तभी होगी जब मनुष्य गुरु भगवंतों के प्रति सच्ची श्रद्धा रख आगे बढ़ेगा। जब लोग घर से कहीं बाहर जाते हैं तो दरवाजे पर ताला लगा कर चले जाते हैं। उस ताले पर मनुष्य को पूरा यकीन होता है। अगर भरोसा न रहे तो मनुष्य ताला बंद कर कहीं भी नहीं जा सकता है।
उसी प्रकार से धर्म के प्रति विश्वास रखनी चाहिए। अगर विश्वास नहीं हुआ तो जीवन में बदलाव नहीं हो सकता है। जीवन में आगे जाना है तो श्रद्धा और विश्वास रखना जरूरी है।