रायपुरम जैन भवन में विराजित पुज्य जयतिलक जी म सा ने बताया कि अनादिकाल से यह आत्मा संसार में घोर नीद्रा में सोई है जिसे जगाने का सामर्थ सिर्फ जिनवाणी में ही है। जिनवाणी श्रवण करने वाली आत्मा जागृत होकर पराक्रम फोड़ने में तत्पर रहते है जिनवाणी श्रवण से ही आज तक जितनी आत्मा का उदार हुआ है। जो आत्मा पाप से निवृत होने की इच्छा रखती है तो एक दिन निश्चित निवृत्त होकर आत्म कल्याण कर लेती है।
कल का प्रसंग दो मित्र का चल रहा था। संसार में स्वार्थी मित्र ही अधिक होते हैं किंतु इन दोनों में सच्ची मित्रता थी। सच्चा मित्र वहीं जो धर्म के मार्ग में साथ देता है! सुख दुःख में साथ देता है! अच्छे मित्रो का साथ भव भव तक रहता है। भगवान महावीर और गौतम गणधर को साथ भव भव का था। भगवान महावीर के सानिध्य से गौतम गणधर अध्यात्म का नाश कर क्षायिक समकित को प्राप्त कर संसार से पार हो गया उन दोनो की मित्रता अटुट थी!
देवलोक में जाने के पश्चात भी धर्म की भावना और आगामी भव में बोध देने का संकल्प लिया। देव मित्र मनुष्य लोक में आकर चेता रहा है नहीं मानने पर शरीर मैं रोग उत्पन कर दिया। धर्म से जीव को जोड़ने के लिए पुरुषार्थ करना पड़ता है। जो तोड़कर जोड़ना जानता है वह कारिगर है। वह मित्र रोग से पीडित होकर हाय हाय कर रहा है। वैध दवा, यंत्र, मंत्र कुछ भी काम नहीं आ रहा था! देव ने अवसर देखकर वैध का रूप धारण किया और नगर में प्रवेश किया तो देखा सामने कुबड व्यक्ति आया तो देव उसके कुबड़ पर मारी तो उसका कुबड़ापन दूर हो गया।वह व्यक्ति प्रसन्न होकर देवरूपी वैध की जयजयकार करने लगा। थोड़ी दूर पर एक लंगड़ा व्यक्ति मिला। उसको भी छड़ी फेंक कर लंगडापन दूर कर दिया तो गाँव में उस वैध की जय जय कार हो गई। चमत्कार को नमस्कार सब करते हैं। चमत्कार पर कभी विश्वास नहीं करना यदि चमत्कार देखना ही है तो नवकार मंत्र का देखो।
जो आधि व्याधि उपाधि, लौकिक, लोकोतर बाधाओं को दूर कर मोक्ष में जाकर जीव विराजमान हो जाता है। यहाँ तक की तीर्थकर भगवान भी णमो सिद्धाणं” की शरण लेते हैं। जो श्रृद्धा भक्ति से नवकार मंत्र को धारण कर लेता है उसके कर्म रोग दूर हो जाते है! नवकार मंत्र के एक एक अक्षर का जप भी कल्याण करने वाला है! उल्लास भाव से नवकार की आराधना करने के सारे कार्य सिद्ध हो जाते है!
अशोक खटोड़ ने प्रवचन पर आधारित पांच प्रश्न पुछे। सही उत्तर देने वालो को ईनाम दिया गया।