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सच्चा ज्ञान वही है जब चुनौती आती है उसे स्वीकार करने की ताकत हो‌- उपाध्याय युगप्रभविजय

सच्चा ज्ञान वही है जब चुनौती आती है उसे स्वीकार करने की ताकत हो‌- उपाध्याय युगप्रभविजय

किलपॉक स्थित एससी शाह भवन में विराजित उपाध्यायश्री युगप्रभविजयजी महाराज ने योग शास्त्र की 25वीं गाथा की विवेचना करते हुए कहा कि चारित्र के महापुरुषों के रूप में जो भावना को भावित करता है उन आत्माओं को अव्यय यानी मोक्ष पद मिलता है। अव्यय यानी जिसमें कुछ भी व्यय नहीं होता। सिद्ध गति, मुक्ति को भी मोक्ष कहा जाता है। जो परमात्मा के 250 विशेषण स्मरण करता है उन्हें मोक्ष मिलता। अपवर्ग यानी 25 महाव्रत की साधना करने से मोक्ष मिलता है। जहां प वर्ग नहीं है यानी प फ ब भ म नहीं है, वह मोक्ष है। प यानी पतन, फ यानी फल प्राप्ति की इच्छा, ब यानी कर्मों के बंधन का अभाव, भ यानी दुनिया के भयों का अभाव।

उन्होंने बताया कि तत्व की भूख खड़ी करने का कार्य भी गुरु का है। समझ नहीं होने पर तत्वज्ञान कितना भी दे दो कोई फायदा नहीं। कल्पसूत्र में सात प्रकार के भय इहलोक भय, परलोक भय, आदान भय, आजीविका भय, अकस्मात भय, मृत्यु भय और अपकीर्ति भय बताए गए हैं। इहलोक भय यानी मानव को मानव से भय, मानव को दूसरे गति के जीवों का भय सताता है वह परलोक का भय है। आदान भय यानी चोरी का भय, आजीविका का भय यानी रोटी, कपड़ा, मकान, नौकरी, व्यापार का भय, अकस्मात भय यानी प्राकृतिक विपदाओं, दुर्घटना का भय, मृत्यु का भय यानी आयुष्य पूरा होने का भय, अपकीर्ति का भय यानी इज्जत- आबरु का भय। ये सात प्रकार के भय मोक्ष में नहीं होते है। यदि प वर्ग चाहिए तो पांच महाव्रत ग्रहण करना चाहिए। मोक्ष इन्हीं पांचों प वर्ग से मिलती है।

उपाध्यायश्री ने कहा कि चरित्र का भ्रष्ट होने वाले का कल्याण हो सकता है लेकिन श्रद्धा का भ्रष्ट होने पर कल्याण नहीं हो सकता। संसार में अर्थ, काम, धर्म पुरुषार्थ है। पुण्य हो तो दूसरों को समझाना सरल है, खुद के उपदेश का खुद पर असर नहीं होता। सच्चा ज्ञान वही है जब चुनौती आती है उसे स्वीकार करने की ताकत हो‌। जो ज्ञान अवसर के ऊपर डराने का कार्य करे, वह सच्चा ज्ञान है। हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि हमें नंदीषेण मुनि जैसा प्रवचनकार और गौतम स्वामी जैसे गुरु मिले। नंदीषेण मुनि को धर्मकथा की लब्धि थी। उनके शब्दों में ताकत थी, क्योंकि उनके पास स्वयं के चारित्र प्रभाव था। उन्होंने 43200 को प्रतिबोधित कर भव पार लगाया।

उन्होंने कहा कि जो दूसरों को तारता है, वह स्वयं भी तिरता है। गौतम स्वामी ने 50,000 को भव पार लगाया। इसमें ज्यादा योगदान नंदीषेण मुनि का था। उन्होंने कहा कि यमराज आने के पहले कई प्रकार के संकेत देते हैं लेकिन हम उन संकेतों को समझकर निर्णय नहीं लेते। सफेद बाल आना मतलब यह यमराज का पोस्ट कार्ड है। दांत टूटना चालू हो जाए, यह यमराज का लिफाफा है। फिर हार्टअटैक, कोलेस्ट्रॉल, पैरालाइसिस आदि के रुप में डायरेक्ट कॉल आता है। उसके बावजूद भी हम जीवन की प्रक्रिया नहीं बदलते हैं।

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