Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

संसार में सुख दुख बाधा अडचन सभी जीवों को आते रहते है: पुज्य जयतिलक जी मरासा

संसार में सुख दुख बाधा अडचन सभी जीवों को आते रहते है: पुज्य जयतिलक जी मरासा

जैन भवन रायपुरम में चातुर्मासार्थ विराजित पुज्य जयतिलक जी मरासा ने फरमाया कि कहते है संसार में सुख दुख बाधा अडचन सभी जीवों को आते रहते है! तीर्थकर भगवान को भी बांधे हुए, कर्म को भोगना ही पड़ता है कोई हँसते भोगता है कोई रोते हुए भोगता। अपने अपने सामर्थ्य अनुसार जीव कर्मो को भोगता है!

जो विचलित हुए बिना उदित कर्मों को भोग कर क्षीण कर लेता है! जिसको विवेक नहीं है वह कर्मों को आगे पीछे करके भोगता है जब बोध हो जाता है तो निर्जरा का लक्ष्य रखता है! अविवेकी जीव मिथ्यात्वी देवी देवता के चक्कर में पडते है मंत्र, यंत्र करते हैं।

इसी तरह श्रीपाल के जगह जगह पर कर्म उदय में आते जा रहे हे नवपद आराधना से कर्म को दबाते चले जा रहे है। जिस दिन बोध हो जायेगा वह एकान्त रूप से निर्णय कर लेगे। उनकी इतनी प्रबल पुण्यवानी की अनेक राजा उनके चरणों में नमते है और अपनी कन्या से विवाह करा देते हैं। इतनी पुण्यवानी की साधारण पुरुष होकर भी राजाओं को नमा लीया। श्रीपाल जी नवपद को हृदय में श्वाचोश्वास की तरह

हृदय में धारण कर रहे है और धर्म के प्रभाव से श्रद्धा के प्रभावना से चमत्कार होता जा रहा है। चल रहा है प्रयोग:- धवल सेठ की सुख साता पूछ कर अपने स्थान पर पधार गये! धवल सेठ अपने मित्रों से कहता है कि श्रीपाल को जल्दी से मार डालो और उनकी स्त्रीयों से मेरा प्रेम करा दो!

लज्जा हो तब तक व्यक्ति पाप से डरता है। किंतु सेठ निर्लज हो गया अत: पाप पुण्य की बात को बिसरा दी। अच्छे मित्र सलाह देते है यह बात तुमने सोचा भी कैसे। इतना उपकारी पुरुष जो रूके जहाज चलाया, दो दो बार बचाया और घर में तुम्हारी सेठानी इन्द्रानी समान है और पर नारी का ख्याल तुम्हारे मन में आया भी कैसे। सुमति मित्र सेठ को धिक्कार कर अपने स्थान पर

चले गए। किंतु एक दुमर्ति मित्र सेठ के बात में हाँ में हाँ मिलाकर युक्ति बनाने की बात कहता है। पुण्य पाप को छोड़ो और अपनी इच्छा पूरी करो ! धवल सेठ को उसकी बात मिश्री जैसी मिठी लगी! यूक्ति बताई की श्रीपाल को विश्वास में ले लो ताकि तुम पर उसका विश्वास जम जाये!

यह जानकारी ज्ञानचंद कोठारी ने दी।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar