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संसार में वही फंसेगा जो आसक्ति में फंसा हुआ है- युवाचार्य महेंद्र ऋषि

संसार में वही फंसेगा जो आसक्ति में फंसा हुआ है- युवाचार्य महेंद्र ऋषि

 एएमकेएम में उत्तराध्ययन सूत्र के 25 व 26वें अध्यायों का हुआ स्वाध्याय

एएमकेएम में चातुर्मासार्थ विराजित श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने उत्तराध्ययन सूत्र के 25वें यज्ञीय अध्याय की विवेचना करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने चारों आघाती कर्म नष्ट किए और सिद्ध बुद्ध हो गए। यदि हमें भी कर्मों की निर्जरा करनी है तो पाप से बचना पड़ेगा। इस अध्याय में एक सुंदर प्रसंग है। वाराणसी नगरी में दो सगे भाई जयघोष व विजयघोष रहते थे। वहां बहुत विशाल पैमाने में ब्राह्मण वर्ग रहता था। वे दोनों भाई स्नान के लिए नदी पर गए। वहां एक पंछी को देखा, जिसके मुंह में सांप था। यह देखकर वे सोचने लगे कैसा है यह संसार। उन्होंने वहां संसार की नश्वरता देखी।

उन्होंने कहा ब्राह्मण हमारे यहां ज्ञान, उपासना करने वाला वर्ग है। जयघोष ने चिंतन करते हुए मुनि दीक्षा ग्रहण की। विजयघोष भी वेदों का ज्ञाता था। मुनि जयघोष विजयघोष के यहां आहार ग्रहण करने गए। जयघोष ने यज्ञ आदि को देखा तो सत्य का आभास करने की सोची। उन्होंने कहा विरोध वृत्ति, प्रवृत्ति का होता है, व्यक्ति का नहीं। उन्होंने सोचा यज्ञ गलत नहीं है लेकिन यज्ञ कौनसा होना चाहिए। उन्होंने यज्ञ का वास्तविक रूप विजयघोष के सामने रखा। यज्ञ करते समय यज्ञ का स्वरूप जानना आवश्यक है।

उन्होंने कहा सूर्य तेजस्वी है लेकिन नक्षत्रों का राजा चंद्र को कहा गया है। बाहरी वेश से कोई मुनि तापस नहीं होता है। जो तप करे वही तापस है। जो आसक्ति को छोड़ता है, वह ब्राह्मण है। आसक्ति और अनासक्ति के बारे में कहा गया है कि संसार में वही फंसेगा जो आसक्ति में फंसा हुआ है। दोनों बंधुओं ने उत्कृष्ट संयम का पालन कर सद्गति को प्राप्त हुए।

युवाचार्यश्री ने 26वें समाचारी अध्याय के बारे में कहा कि समाचारी यानी जैसे देश में संविधान है, वह देश के लिए एक व्यवस्था है। लोग इसका पालन करते हैं। उसी तरह जीवन में व्यवस्थाएं अपनानी होती है, उसका वर्णन इस अध्याय में समाविष्ट है। दस प्रकार की समाचारी बताई गई है आवश्यकी, पृचछना, प्रतिपृच्छना, छंदना, इच्छाकारेणं, मिच्छाकारेणं, तथाकार यानी तहत्ति, स्थान से खड़े हो जाना, गुरु के समीप रहना आदि। यह साधक जीवन के लिए सुंदर व्यवस्था दी गई है। मुनि हितेंद्र ऋषिजी ने बताया कि मंगलवार को आचार्य देवेन्द्र मुनि की गुणानुवाद सभा होगी। आगामी 4 नवंबर से 8 वार की प्रवचन माला शुरू होगी। राकेश विनायकिया ने सभा का संचालन किया।

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