चेन्नई. किलपॉक स्थित कांकरिया भवन में साध्वी मुदितप्रभा ने कहा साधना के मार्ग में आगे बढऩे के बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखना है। संसार में डिगाने व डिगने के अनेक साधन हैं पर साधक व श्रावक को हमेशा मजबूत रहना है।
जो मजबूत इरादों व लक्ष्य से आगे बढ़ते हैं उन्हें कोई डिगा नहीं सकता। जो साधक शरीर व आत्मा को अलग मान कर चलते हैं उन्हें संसार के कोई भी प्रलोभन कैसी भी परिस्थिति डिगा नहीं सकते। पर्वाधिराज पर्व के पावन दिवसों पर विश्राम नहीं करते हुए इंद्रियों के विषयों को विराम देना है। हमें इन पवित्र दिनों में प्रभु महावीर की आगम वाणी सुननी है।
शास्त्र श्रवण कर अपनी आत्मा को निर्मल बनाना है, यथा शक्ति तप साधना आराधना करनी है। हमें संसार में भटकाने वाले साधनों के बीच नहीं अपितु साधना में जीना है। जो इंद्रियों को वश में कर लेते हैं और इंद्रियों की गुलामी नहीं करते हैं उन्हें हमेशा जीत मिलती है, वे विजेता कहलाते है।
हमें कर्मो का गुलाम नहीं बनते हुए हमें कर्मो को जीत कर मालिक बनना है। आत्माएं सही लक्ष्य का निर्धारण कर लेती हैं और जिनका लक्ष्य स्पष्ट रहता है व लक्ष्य के प्रति प्रतिबध्यता रखते है वे पुरुषार्थ करते हुए अवश्य मोक्ष रूपी मंजिल पा लेते हैं। मंगलवार से अष्ठ दिवसीय नवकार महामंत्र का अखंड जाप होगा।