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संसार पाप की दुनिया हैः- श्री मंगलप्रभा जी म.सा

संसार पाप की दुनिया हैः- श्री मंगलप्रभा जी म.सा

यह संसार पाप की दुनिया है, पाप क इसस संसार से हमें आगम ही बचा सकते है। हम आगम का पाठ नहीं कर सकते है तो कम से कम इसका श्रवण कर हम हमारी आत्मा को परमात्मा बना सकत है और आगम के बताए गये मार्ग पर चल कर हम आत्मा का कल्याण कर कर्मों की निर्जरा कर सकते है।

उक्त उद्गार श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ग्रेटर हैदराबाद, के तत्वावधान में काचीगुड़ा स्थित श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपप्रवर्तिनी महासती श्री मंगलप्रभा जी म.सा ने व्यक्त किये। संघ के संघपति स्वरूपचंद कोठारी ने आज यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए महासती ने जीवन में आगम की महत्ता को दर्शाते हुए कहा कि आगम को दर्पण की उपमा दी गयी जो हमे हमारी आत्मा से साक्षात्कार कराते है। आगम हमारी आत्मा में व्याप्त कषायों के कचरे को साफ कर आत्मा का कल्याण करते हैं।

महासती ने फरमाया की हम आत्मा की तुलना में शरीर को अधिक महत्व देते है और शरीर के संवारने में ही लगे रहते है, जबकि शरीर मात्र एक साधन है और आत्मा शाश्वत होती है, इसीलिए शरीर की अपेक्षा आत्मा के कल्याण पर ही अधिक ध्यान देना चाहिये। म.सा ने बताया की जम्बू स्वामी ने अपने गुरू सुधर्मा स्वामी से वार्तालाप कर आगम का ज्ञान प्राप्त किया था। आगम के वाचन के अतंर्गत महासती ने राजा श्रेणिक व मेघ कुमार के चरित्र की विवेचना की और बताया कि किस प्रकार से महारानी ने पुत्र को जनम देने के पहले 14 दिव्य स्वपन देखे थे। स्वपन 72 प्रकार के होते है और ब्रम्ह मुहुर्त में ही दिव्य स्वपन आते है, लेकिन स्वपन से कोई चमत्कार नहीं होता है और स्वपन से चमत्कार की कामना भी नहीं की जाती है। महासती ने बताया कि रोज सोने से पहले पांच बातों का ध्यान हर किसी को रखना चाहिये। पहला यह है कि हम किसी प्रकार की वस्तु पर किसी प्रकार का महत्व न रखे, उनके प्रति राग की भावना ना रखे, ऐसा करने से हमे नींद नहीं आती है। दूसरा यह कि हम सोने से पहले हर आत्मा से क्षमायाचना करे, क्षमा याचना करने के आत्मा का बोझ हल्का हो जाता है और हमें नींद आती है। तीसरा यह कि हमे हमारे शरीर के प्रति मोह की भावना को त्याग दे और अपने आपको आत्मा मान कर चले। शरीर के प्रति मोह की भावना रखने से भी हमें नींद नहीं आती है। चौथा यह है कि सोने से पहले हम अरिहंत, सिद्ध व साधु-संतो की शरण ले ले, लेकिन वास्तविकता यह है कि हम अरिहंत-सिद्ध की शरण लेने के बजाए पति,पत्नी, पुत्र व रिश्तेदारों की शरण लेते है। पांचवा ध्यान यह रखे कि हमें सोने से पहले हमारे शरीर के प्रति आभार जताए जो हमें तप-साधना,कर्मनिर्जरा के लिए सहयोग दे रहा है। जो जीव सोने से पहले इन पांच बातों का ध्यान रखता है, उसे अच्छी नींद आती है और उसे अच्छे स्वपन आते है।

महासती ने नारी को सर्वगुण सम्पन बताते हुए कहा कि ममता की प्रतिक नारी समय आने पर रूद्राणी भी बन जाती है और नारी की 64 कलाए होती है। भोजन कराते समय वह माँ बन जाती है तो दुःख के समय दोस्त की भूमिका निभाती है। महिलाओं से म.सा ने जीवदया का पालन करने के लिए रसोईघर में मर्यादा रखने की भी आवश्यकता जताई। इसके पूर्व संगीत प्रिय साध्वी श्री दिव्यांशीश्री जी म.सा ने अपने उद्बोधन में 9 पुण्य व 18 पापों की विवेचना करते हुए बताया कि वर्तमान भव में किये गये पुण्य कर्मों का फल हमें अगले भव में मिलता है। जहाँ तक हो सके जीवदया, दान-पुण्य के कार्य करते रहे। दान करते है तो इसके पीछे श्रद्धा रखे न कि अंहकार की भावना। दान के कार्यों में अहंकार करने से इसके क्या परिणाम होते है, म.सा ने इसे एक गाथा के माध्यम से समझाया। जहाँ तक हो सके गुप्त दान करे और ऐसा दान कर की एक हाथ से दान करने पर दूसरे हाथ को भी इसका पता न चल पाए। म.सा ने रक्त दान को महादान बताते हुए संघ के तत्वावधान में उप प्रवर्तक श्री गौतम मुनि जी म.सा की प्रेरणा से निशुल्क स्तर पर चलाए जा रहे डायलिसिस के कार्यों की प्रशंसा की।

संघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने धर्मसभा का संचालन करते हुए संघ को चातुर्मास के संबंध में आवश्यक सूचनाएं दी। आज धर्मसभा में प्रश्नमंच रखा गया । तपस्या की कड़ी में आयंबिल रेखा सुराना , दीप्ति सुराना , शोभा छाजेड़ , एकासन में प्रेमलता मुनोत , लीलाबाई मुनोत उपवास में सपना गुगलिया , शशि कोचेता । तेले की कड़ी में संतोष पितलिया ,4 उपवास सीमा तातेड 5 उपवास में गुप्तदान जारी है । कल रविवार 17 जुलाई को प्रातः 9 से 9:30 बजे पेंसटिया यंत्र जाप का रहेगा एवं तत्पश्चात् प्रवचन रहेगा । कल रविवार को बच्चों के लिए महावीर जैन धार्मिक पाठशाला प्रातः 9:30 से 11 बजे रहेगी ।

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