चेन्नई. संसार पाप और पुण्य का नाटक होता है। असफलता, विचित्रता और पराधीनता का भंडार है। पुण्य की बिक्री कर के पाप की फैक्टरी खोलने का नाम है संसार।
ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा मेरी भावना का मूल संदेश है किसी को नहीं देखना, अपने आप को देखना है। स्वयं को बदलना है। आप बदल गए तो आपके लिए सारा जग बदल जाएगा। आज तक एक भी ऐसी मिसाल नहीं है कि किसी व्यक्ति ने खुद को सबके अनुरूप बना लिया हो। कोई अच्छा कहे या बुरा, उसके कहने से हम अच्छे या बुरे नहीं बन जाते। आपकी अच्छाई आप पर निर्भर है उसका जन्म आपके हृदय के गर्भ से हुआ है। कच्ची रोटी खाने से पेट खराब होता है और कच्चे कान के बनोगे तो जीवन खराब होगा।
इस अवसर पर साध्वी सुप्रतिभा ने कहा सत्य बोलने वाला व्यक्ति निर्भय होता है और झूठ बोलने वाला डरपोक। सत्य हमारा स्वभाव है झूठ बोलना विभाव। जीवन लक्ष्य की दो इमारत है संकल्प और पुरुषार्थ। कटु वचन रिश्तों में दरार पैदा करते हैं। किसी को वचन देकर और वचन निभाना सत्य वचन है। स्वर्ण चाहे किसी भी देश में हो स्वर्ण ही रहेगा। सत्य भी चाहे किसी वेश में हो सत्य ही रहेगा।