साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने मंगलवार को कहा कि संसार के समस्त कार्यो को छोडक़र परमात्मा की भक्ति में लगने वाले लोग सौभाग्यशाली होते है। जैनों के लिए नवकार मंत्र 68 तीर्थ का लाभ देने के बराबर होता है। भक्ति के साथ अगर नवकार मंत्र का स्मरण किया जाए तो कहीं जाने की जरुरत नहीं है, बल्कि इससे ही 68 तीर्थ का लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं।
उन्होंने कहा कि पंच परमेष्टि की भक्ति स्तुति और इसकी प्रार्थना जब भी करने का मौका मिले तो मन और दिल को उसी में जोडक़र परमात्मा की दिव्य भक्ति का लाभ जीवन में ले लेना चाहिए। ऐसी उत्तम अनन्य भक्ति कर जीवन को परमात्मा की वाणी से जोडऩे का अवसर भाग्यशाली आत्माओं को ही प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि भोजन करने से पहले घर से निकलने से पहले नवकार मंत्र का जाप करना चाहिए। इसका स्मरण किए बिना किसी भी कार्य की शुरुआत ही नहीं करनी चाहिए। यदी मनुष्य अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहता है तो उसे धर्म, ध्यान, तप और त्याग करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। ऐसा करने का अगर मौका मिले तो सबसे आगे होना चाहिए। सागरमुनि ने कहा कि आचरण का जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। आत्मा के हित के लिए मनुष्य को आचरण करना चाहिए।
आचरण के मार्ग पर चल कर जीवन में बदलाव किया जा सकता है। मनुुष्य के अच्छे आचरण ही उसको धर्म की ओर खीचते हैं। इससे पहले एसएस जैन संघ के तत्वावधन में मिश्री चैरिटेबल ट्रस्ट कोडम्बाक्कम द्वारा अंर्तविद्यालय भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें 60 स्कूली बच्चों ने हिस्सा लिया और महावीर की पांच सिद्धांतों पर अपनी प्रस्तुति दी।
विशेषता यह रही कि सभी अजैन बच्चों ने जैन धर्म के बारे में बताया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पन्नालाल सिंघवी थे। संघ के अध्यक्ष आंनदमल छल्लाणी के अलावा झवरीलाल भंडारी, महावीर टोटलवा, संजय कुकड़ा, रिखब चंद बोहरा सहित अन्य लोग उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।