चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी महाप्रज्ञा ने कहा जीवन का अर्थ समझकर अनर्थ नहीं करें। धर्म एवं स्वाध्याय कर अपने मानव भव को सफल सार्थक करें। नमिपवज्जा की 9 शिक्षाओं के माध्यम से एक शब्दों के अर्थ एक-एक अध्ययन का शब्द से नाम अगर सोचें एवं चिंतन करें तो यह शब्द जीवन का उद्धार करेगा।
नौवें अध्ययन में दो संस्कृति का मिलन है- एक गृहस्थ आश्रम, दूसरा संन्यास आश्रम। व्यक्ति को कितना ही समझाएं पर उसे गृहस्थ आश्रम ही अच्छा लगता है। संसार की असारता को समझें जीवन को व्यर्थ न गवाएं। संसार में निस्वार्थ अवस्था में रहकर व्यक्ति अपने भावों को शुद्ध बनाएं। शुद्ध बनाकर अपने आपका जीवन सफल सार्थक करें।
संसार में रहो, कीचड़ में कमल की तरह रहोगे तो जीवन सफल होगा। उत्तराध्ययन सूत्र का 9वां अध्ययन रोज कर कर्म काटकर अपने घर-परिवार में रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करें। महाप्रज्ञ ने गीतिका एवं भजन के माध्यम से महावीर का संदेश दिया।
साध्वी कुमुदलता ने प्रवचन के माध्यम से गुरुवार को होने वाले महामंगलकारी तिजयपहुत अनुष्ठान की ऐतिहासिक घटना के माध्यम से मंत्र की शक्ति को जानकर धर्म पर श्रद्धा बढ़ाकर जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने के लिए गुरुवार को होने वाले अनुष्ठान में पधारें। गुरुवार को अनुष्ठान गोरी दिवाकर कमला महिला मंडल की ओर से रखा गया है।