Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

संसार का सुख अस्थाई और मोक्ष सुख स्थाई है: महासती धर्मप्रभा

संसार का सुख अस्थाई और मोक्ष सुख स्थाई है: महासती धर्मप्रभा

Sagevaani.com/चैन्नई। संसार का सुख अस्थाई है, और मोक्ष सुख स्थाई है। बुधवार साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने ओलीजी तप पर श्रीपाल चारित्र का वांचन करतें हुए साधना-आराधना करनें वाले साधकों से कहा कि आत्मा संसार में पूर्व भव मे किए गये पुण्य कर्म से ही जीवन मे सुख प्राप्त करती है मनुष्य के पुण्य जब तक प्रबल तब तक उसका कौई बाल भी बांका नहीं कर सकता है।

पुण्य से ही मनुष्य संसार मे सुख प्राप्त करता है परन्तु संसार का सुख स्थाई नहीं है असली सुख तो मोक्ष का है जो कभी नष्ट नही होने वाला हैl इंसान पुदगलो और विषयों के सुख को स्थाई जानकर अज्ञान, मोह, माया कसाय और लोभ मे जीवन भर सुख की तलाश में दुःख भोगता है।

लौकिक और भौतिक सुख स्थिर नही है सच्चा सुख आसक्ति को त्याग में है, कर्म के त्यागने में नहीं। कर्म से प्राप्त होने वाले फल के प्रति आसक्ति को त्यागने पर ही मनुष्य अपनी आत्मा को मोक्ष का सुख दिलवा सकता है।

साध्वी स्नेहप्रभा ने श्रीमद उत्ताराध्यय सूत्र के आठवें अध्याय अज्झयणं काविलीयं के पाठ का विवेचन करतें हुए कहा कि मनुष्य अपने लोभ पर संतोष की लगाम लगाने पर ही जीवन मे सुख और शांति प्राप्त कर सकता है वरना उसे जीवन मे सुख और शांति की प्राप्ति नहीं मिलने वाली है। मनुष्य का लोभ और लालच ही उसके जीवन को नष्ट कर और आत्मा का पतन करवाता है।

साहुकारपेट श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया धर्मसभा मे अनेक बहनो और भाईयो ने आयंबिल और दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए। जिनका श्रीसंघ के मंत्री सज्जनराज सुराणा, महावीर चन्द कोठारी, शम्भूसिंह कावड़िया आदि ने आयंबिल करने वालो का अभिनन्दन किया।

मीडिया प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्री एस.एस. जैन भवन, साहुकार पेट, चैन्नई

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar