जैन संत डाक्टर राजेन्द्र मुनि जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए जीवन मेरे परमपिता परमात्मा तीर्थंकरो के जीवन को संयम का दाता बतलाते हुए कहा उनका जैसा उत्कृष्ट संयमि दुनियां मे और कोई नजर नहीं आता, संसार के संयमि जीव यदिपी निर्मल संयम की आरधना कर कर के हमें संयम का धर्म का महा मार्ग बतला रहे है! लेकिन तीर्थंकर का अतिशय संयम अपने आप में अनूठा व अदभुत है क्योंकि वे ही सिद्ध आत्मा परमात्मा पद के अधिकारी रहते है!
हमारा जीवन जन्म मरण के साथ जुडा हुआ रहता है अत : हम संसारी जीवातमा है जबकि वो मोक्षगामी आत्मा है! आदिनाथ भगवान ज्ञान मे उत्तम ज्ञान केवल ज्ञान के धारक है उनकी मन वचन काया ज्ञान से परिपूर्ण है ज्ञानमय है, उनके दिव्य ज्ञान से हम सब लाभविंत हो रहे है! अत : वे स्वयं मे ज्ञान देव है!आपने हे प्रभु हमारे जीवन मे संयम को जन्म दिया है अत : आप ब्रह्मा स्वरूप एवं आप ही हमारे ज्ञान व संयम जीवन का लालन पालन कर रहे है अत : विष्णु रूप मे भी हो इसी के साथ आपने हमारे समस्त कर्मों को जन्म मरण के नष्ट कर्ता हो अत : महेश रूप भी आप ही हो!
आचार्य मानतुंग जी विविध उपमा उदारहण से प्रभु के जीवन को वन्दना अर्पित करते जा रहे है इसी तरह भक्त भी अपनी भावनाएं समर्पित कर रहे है! सभा मे साहित्यकार सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा अतिशय की वर्णना विवेचना करते हुए आज से प्रारम्भ नवरात्री मे अधिक से अधिक जप तप पूजा पाठ मौन साधना की प्रेरणा दी! महामंत्री उमेश जैन ने समाजसेवी जनों का अभिनन्दन कर सूचनाएं प्रदान की।