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संयम, समझ कर जीने का सूत्र है : साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा

संयम, समझ कर जीने का सूत्र है : साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा
महिला मण्डल द्वारा “रूपांतरण एक्सप्रेस, संयम कार्यशाला” का आयोजन
  तंडियारपेट, चेन्नई ;  साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में संयम कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल, चेन्नई की आयोजना में तेरापंथ सभा भवन, तड़ियारपेट में हुआ।
इस अवसर पर साध्वी श्री डॉ मंगलप्रज्ञा ने कहा संयम की साधना महावीर द्वारा प्रदत्त केंद्रीय सिद्धांत है। तात्विक दृष्टि से चिंतन करें तो मोहनीय कर्म विशुद्ध चेतना को आवृत करता है। आज इंद्रियों का आकर्षण बढ़ता जा रहा है। भौतिकवादी आकर्षण स्वयं की सुरभि नहीं दे पाता। संयम के भाव जीवन में अवतरित हो, ऐसा प्रयास होना चाहिए। इंद्रियों के विषय तो त्रैकालिक है, पर उनके वशीभूत ना बने।
साध्वीश्रीजी ने विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि संयम की साधना का मुख्य हेतु स्वाध्याय है। आध्यात्मिक ग्रंथों के स्वाध्याय से आनंद का अनुभव होता है। सौभाग्य से हमें विशिष्ट आचार्यों के साहित्य की धरोहर मिली है। आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और आचार्य महाश्रमण के साहित्य पाठक समस्याओं से निजात पा लेते हैं। जरूरत है हम अपने घर की इस विरासत का प्रयोग करें। आज अधिकांश समस्याएं वचन के असंयम से पैदा हो रही। संयम का कवच वास्तु दोष जैसी समस्या को भी समाप्त कर सकता है। समाज परिवार में प्रदर्शन की खेती इतनी हावी हो रही है, व्यक्ति स्वयं को भूल जाता है। मात्र संयम को सुने ही नहीं, उसे समझे और जीवन में संकल्पित होकर उतारने का प्रयास करें। रूपांतरण का अर्थ मात्र सुनने तक सीमित ना रहे, व्यक्तिगत जीवन में संयम करने का संकल्प अवश्य करें। साधु-संस्थाएं समाज में होने वाली विकृतियों पर प्रहार करती है। आज इस कार्यशाला में उपस्थित सभी सदस्य संयम चेतना का प्रतिबोध लेकर यहां से प्रस्थान करें। निश्चित रूप में जीवन में संयम का अवतरण भावी पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त करता है।
 साध्वी डॉ चैतन्यप्रभा ने कहा इंद्रियों के संयम की विशेष साधना साधक को करनी चाहिए। इंद्रियों की संयम साधना कैसे सधे इसके लिए साध्वीश्रीजी ने कई प्रयोग करवाएं। टीपीएफ अध्यक्ष, प्रखर वक्ता श्री राकेश खटेड ने एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध विषय को प्रतिपादित करते हुए कहा हमारे भीतर अनंत शक्तियां विद्यमान है। संयम भीतर के प्रकाश को जगाता है। आवश्यकता है आत्मा के पट को खोलें। संयम सूत्र को प्रयोगधर्मा बनाकर आनंद का जीवन जिएं।
 कार्यशाला का प्रारंभ महिला मंडल के प्रेरणा गीत से हुआ। अध्यक्षा पुष्पा हिरण ने कहा साध्वीश्रीजी के प्रवर सान्निध्य में हमें अनेकों निर्देशित कार्यक्रम करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। उन्होंने संपूर्ण परिषद् का स्वागत किया। महिला मंडल द्वारा संयम की महत्ता प्रदर्शित करने वाले लघु नाटिका प्रस्तुत की। आभार ज्ञापन मंत्री रीमा सिंघवी ने किया।

            स्वरुप चन्द दाँती
सहमंत्री
अणुव्रत समिति, चेन्नई

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