चेन्नई. थाउजेंड लाइट जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक विनयमुनि ने कहा मनुष्य को धर्म की ओर लगन से कार्य कर अपने कर्म अच्छे करने चाहिए। अच्छे कर्म करने पर भले के सिवाय कुछ और नहीं होगा। मनुष्य ने अपने इस भव को धर्म के कार्यो से नहीं जोड़ा तो उसकी यह काया किसी काम की नहीं होगी। सेवा भाव अपना कर आगे बढऩा चाहिए।
अगर मन में दया, करुणा और सेवा भाव नहीं हो तो जीवन व्यर्थ है। उन्होंने थाउजेंड लाइट्स जैन संघ के कार्यकर्ताओं की साधु संतों के प्रति सेवा भावना की। सागरमुनि ने कहा प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में महापुरुषों के गुणों को अपना कर आगे निकलने का प्रयास करना चाहिए। परमात्मा की वाणी जीवन को नई दिशा दिखाने वाली होती है।
उन दिशाओं का अनुसरण करना चाहिए। मनुष्य अगर मार्ग से भटकेगा तो उसका पूरा जीवन भटक जाएगा। जीवन में सफल वही होता है तो गुरुभगवंतों के दिखाए मार्ग का अनुसरण करता है। जीवन में संयम रखना बहुत ही जरूरी होता है। लाख दुख आने के बाद भी जो संयम नहीं खोते वहीं महापुरुष कहलाते हैं। संयम रखने से मनुष्य के कर्मो की निर्जरा होती है।
वर्तमान के युग में मनुष्य अपने स्वार्थ की वजह से सब कुछ कर रहा है। आगामी भव की चिंता किए बगैर ही पापों में लिप्त हो रहा है। पाप करना तो बहुत ही आसान है, लेकिन इसके परिणाम बहुत कठित होते हैं। यह भव बहुत ही दुर्लभता से मिला है इसे गंवाना नहीं चाहिए। मंगलवार को गुरुभगवंत विहार कर के टी. नगर जैन स्थानक पहुचेंगे। जहां पर त्याग, तप, धर्म और जीव दया के साथ विनयमुनि का 68वां जन्मदिवस मनाया जाएगा।