उपाध्याय प्रवर जन्म जयंती कम्मनहल्ली में
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने बताया जीवन जीना, संयम का जीवन खांडे की धार पर कत्थक करने के समान है। सच्चा साधक वही होता है। ऐसे हमारे उपाध्याय परम पूज्य केवल मुनि जी महाराज साहब थे जिन्होंने ऊंचे आदर्शों की ज्योति कभी भी बुझने नहीं दी। कोई भी संस्था पर अपना नाम नहीं दिया। जिनका शुभ सानिध्य हमें भी मिला था। वे करुणा के मसीहा थे।
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने गुणानुरागी होने से जीवन में दिव्य ज्ञाप्तीया उत्पन्न होती है। वहां तक की गुणों के प्रति अनुराग होने से तीर्थंकर जैसे सर्वोच्च पद को प्राप्त कर सकता है। साथ ही पूज्य श्री के जीवनी पर प्रकाश डाला।
जैन कांफ्रेंस के रास्ट्रीय प्रचार प्रसार मंत्री गौतमजी धारीवाल तथा पुर्व युवा अध्यक्ष धर्मेंद्रजी मरलेचा एवं कम्मनहल्ली अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने केवलमुनिजी जयंती पर वक्तव्य दिया। अशोक सांखला, कांतिलाल सकलेचा ने अभिवादन किया।