जोधपुर, 2 जून। राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ महाराज ने कहा कि प्रगति के लिए दिमाग में तीन गुण अपनाइए – 1. पीसफुल माइंड, 2. पॉजिटिव माइंड और 3. पावरफुल माइंड। शान्त, सकारात्मक और शक्तिमान होना हर सफल जीवन का आधार है। उन्होंने कहा कि खुद को हैप्पीमैन बनाइए, एंग्रीमैन नहीं। एंग्रीमैन केवल फिल्मों में ही खलनायक की भूमिका निभाते अच्छे लगते हैं, रीयल लाइफ में तो हैप्पीमैन ही पसंद किए जाते हैं। याद रखें, क्रोध करने वाले लोग घरवालों को भी अच्छे नहीं लगते, फिर दूसरे लोगों को कहाँ से प्रिय होंगे?
क्रोध साँड है, भला कौन इसका सींग खाना चाहेगा? क्रोध तो माचिस की तीली की तरह है। थोड़ा-सा घर्षण लगते ही आग सुलग उठती है। अरे भाई! माचिस में तो अक्ल नहीं है। इसलिए सुलग उठती है। आपमें तो अक्ल है, फिर क्रोध पर कंट्रोल क्यों नहीं करते? उन्होंने कहा कि किसी ने मुझसे पूछा कि क्रोध क्या है?
मैंने उसे सहज जवाब दिया कि दूसरे की गलतियों की सजा खुद को देना। क्रोध तो तात्कालिक पागलपन है। कौन बेवकूफ होगा, जो यह पागलपन दोहराएगा। उम्मीद है आप समझदार हैं। अपनी समझदारी का इस्तेमाल कीजिए और अपने उग्र स्वभाव को सरल स्वभाव में बदलिए।
संतप्रवर संबोधि धाम में आयोजित संस्कार निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास शिविर के समापन पर बच्चों एवं युवाओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्रोध पर इसलिए विजय पाइए, क्योंकि यह हँसी की हत्या करता है और खुशी को खत्म। यह बुद्धि के दरवाजे पर चटकनी लगा देता है और विवेक को घर से बाहर निकाल देता है।
क्रोध से सेहत पर कुठाराघात होता है, रिश्ते टूटते हैं और कैरियर चौपट हो सकता है। गुस्से से सावधान रहिए। पलभर का गुस्सा आपका पूरा भविष्य बिगाड़ सकता है। क्रोध में बनाया गया भोजन और बच्चों को पिलाया गया दूध जहर की तरह नुकसानदायक होता है। क्रोध पैदा हो जाए तो पहले 15 मिनट सो जाएँ, तन-मन को रिलेक्स करें, उसके बाद ही कोई कार्य निपटाएँ।
क्रोध में एक बार अपना चेहरा आईने में देखने की तकलीफ उठाएँ। आपको अपने आपसे नफरत होने लगेगी। तब आप अनायास ही अपने क्रोध को वैसा ही थूक देंगे, जैसे कि मुँह से कफ।
मुस्कुराकर करें क्रोध-संतप्रवर ने कहा कि यदि आप क्रोध से परेशान हैं तो सदा मुस्कराने की आदत डालें। क्रोध का निमित्त खड़ा हो जाए तो पहले मुस्कराएँ, फिर क्रोध करें – क्रोध कम आक्रामक होगा। उदाहरण से समझाते हुए उन्होंने कहा कि अगर दूध उफनने लगे तो हम पानी का छींटा डालते हैं।
आप इसी नुस्खे का इस्तेमाल कीजिए। जैसे ही लगे कि आपमें उफान आ गया है, तत्काल दो गिलास ठंडा पानी पी लीजिए। उधर उफनता दूध शांत, इधर आपका उबाल शांत।
धैर्य अपनाएं क्रोध भगाएं-संतश्री ने कहा कि कोशिश कीजिए कि क्रोध को हमेशा धैर्यपूर्वक प्रकट करने की आदत डालिए। थोड़ा-सा धैर्य आपके क्रोध को जीतने का मंत्र बन जाएगा। धीरज से सोचने पर कई दफा लगता है कि मैं व्यर्थ ही क्रोधित हुआ। क्रोध के बाद पैदा हुए प्रायश्चित्त से प्रेरणा लीजिए और निर्णय कीजिए कि मैं भविष्य में आगे-पीछे का सोचकर ही तेजी खाऊँगा।
उन्होंने कहा कि प्लीज! गुस्से को कहिए गो। ज्यादा गुस्सा करेंगे तो पत्नी सुबह 9 बजे घड़ी देखेगी और कहेगी – क्या बात है आप अभी तक ऑफिस नहीं गए? प्रेम से पेश आने वाले व्यक्ति के लिए शाम को घड़ी देखी जाती है – रात के 8 बज गए, क्या बात है, वे अभी तक नहीं आए। आप क्या चाहते हैं, आपकी पत्नी सुबह घड़ी देखे या शाम को?
हे जीव! अब तो शांत रह का बोर्ड लगाएं-उन्होंने कहा कि कृपया बड़े साइन का एक कागज लीजिए और उस पर भगवान महावीर की यह वाणी लिख दीजिए – हे जीव! अब तो शांत रह। कब तक यूँ ही हो-हल्ला करता रहेगा। बस, इस कागज को घर के आंगन में चिपका दीजिए और जैसे ही गुस्सा आए तो इसे पढ़ डालिए।
आपकी अंतरात्मा में तत्काल शांति की रोशनी खिल उठेगी। सप्ताह में एक दिन चार घंटे का अखंड मौनव्रत रखने की आदत डालिए। मौन से जहाँ वचनसिद्धि सधेगी, वहीं क्रोध के तेवर का तीखापन कम होगा। हर महीने की पहली तारीख को उपवास करने की आदत डालिए। यह उपवास भोजन नहीं करने का न हो, बल्कि क्रोध न करने का हो। भला, क्रोध न करने से बढ़कर और क्या तपस्या होगी।
इससे पूर्व द वे ऑफ गुड लाइफ के रूप में संस्कार निर्माण एवं व्यक्तित्व-विकास शिविर का सफल आयोजन कायलाना रोड़ स्थित प्रसिद्ध साधना स्थली संबोधि धाम में हुआ। राष्ट्र-संतों के अलावा राष्ट्रीय स्तर के मैनेजमेन्ट गुरु डॉ. संतोष भारद्वाज दिल्ली, विक्रम सेठिया कोलकाता, पारस हरिया इंदौर, डॉ. सीमा दफ्तरी जयपुर, जागृति अग्रवाल जयपुर एवं जोधपुर के अरविंद भट्ट व राकेश गर्ग ने अपनी सेवाएं समर्पित की जिनका संबोधि धाम द्वारा माला व शॉल पहनाकर अभिनंदन किया गया। शिविर में बच्चों एवं युवा छात्र-छात्राओं को थर्ड आई एक्टिव करने के लिए विशेष प्रयोग सिखाए गए जिसमें अनेक बच्चों के मिड ब्रेन एक्टिवेशन मेथड से थर्ड आई एक्टिव हुई।
शिविर प्रभारी डॉ. शांतिप्रिय सागर एवं योग प्रशिक्षिका योगिता यादव ने बताया कि शिविर में परिवार में जीने के तौर तरीके, स्मरण-शक्ति और बौद्धिक विकास के नुस्खे, जीवन में सफल होने और केरियर बनाने के शर्तिया उपाय, जीवन में ऊँचे सपने और लक्ष्य बनाने का आत्मविश्वास साथ ही स्वस्थ, सफल और मधुर जीवन जीने के प्रयोग, योगा, प्रश्न-पहेलियाँ, बोलने की कला, गीत-गायन, स्वयंसेवा एवं स्वावलम्बी जीवन के बारे में सटीक एवं वैज्ञानिक मार्गदर्शन दिया गया। शिविर में जोधपुर के अलावा देश के अनेक शहरों से लगभग 200 बच्चों ने भाग लिया।