श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में कर्नाटक तप चंद्रिका प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने बताया संबंध रखो पर बंधन मत रखो, संतों का सम्मान होना चाहिए ना कि अनादर। कीर्ति ध्वज मुनि के माध्यम से बताया। संत अपनी क्रिया, ज्ञान, तप में रत रहता है फिर भी परिषह आने पर अपनी समाधि भाव में रहते हैं।
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने बताया दो अक्षर का लक, ढाई अक्षर का भाग्य, तीन अक्षर का नसीब, साडे तीन अक्षर का किस्मत, यह चारों भी कारगर बनते हैं। तब चार अक्षर का मेहनत शब्द इसके साथ जुड़ जाता है तो बताया आलसी मत बनो। अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने स्वागत किया। मंत्री हस्तीमल बाफना ने संचालन किया