🏰☔ *साक्षात्कार वर्षावास* ☔🏰
*ता :12/8/2023 शनिवार*
🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*
🪷 *विश्व पूजनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश
🪔 *विषय अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7*🪔
~ विश्व में अनेक धर्म है किंतु हमारी अध्यात्म स्थिति को सिद्ध करके गुणवान और अनंत शक्ति संपन्न आत्मा का बोध केवल जैन धर्म से ही होता है।
~ आत्मा दर्शन के लिए जिसका प्रबल पुरुषार्थ है वो साधक की आत्मा सिद्धि का अनुभव कर सकता है।
~ जहां-जहां सत्य धर्म की प्राप्ति होती है वहां- वहाँ साधक नई दिशा में नए-नए आयाम के साथ नई यात्रा में जुड़ता है।
~ जहां सत्य का निर्णय हुआ वहां बोध भी हर पल सत्य ही होता है।
~ इस मानव भव में त्याग की महिमा कितनी कर सकते हैं और कितना त्याग करके त्याग का बल कितना पा सकते हैं।
~ संलेखना यानी आंतरिक शक्तियों का अनुपम निर्माण।
~ प्रभु महावीर स्वामी मैं विश्व के सभी जीवो को ज्ञान दिया कि हम जो शरीर, पुत्र, परिवार, पैसे के लिए जीवन जी रहे हैं उससे भी महान जीवन है चैतन्य का।
~ प.पू. प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब ने शरीर के स्वभाव को सम्यक रूप से मानकर शरीर से श्रेष्ठ साधना करके शरीरातीत दशा को पाया था।
~ शरीर और आत्मा में से हमारे मन में जिसका ज्यादा महत्व होगा उतना ही उसकी चिंता, ख्याल, ध्यान अच्छा होगा।
~ हमारे जीवन यदि भ्रम में बीत रहा है तो हमारा मृत्यु भी भ्रम में ही होता है।
~ तीर्थंकर प्रभु की आत्मा को भी यह शरीर छोड़कर जाना पड़ा तो हम कौन कितने बुद्धिशाली की हमारी मृत्यु भी होगी ही नहीं यह शरीर जाएगा ही नहीं, ऐसा मान रहे हैं।
*”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*
🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪