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ज्ञान वाणी

संत-साध्वियों के सान्निध्य में हुई श्रद्धाजंलि सभा

संत-साध्वियों के सान्निध्य में हुई श्रद्धाजंलि सभा
श्री मरुधर केसरी जैन गुरु सेवा समिति तमिलनाडु के तत्वावधान में सोमवार को वेपेरी में रिथर्डन रोड स्थित सीयू शाह भवन में सोमवार को देवलोक गमन पर वरिष्ठ उपप्रवर्तक रूपमुनि की श्रद्धांजलि सभा हुई। उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि, उपप्रवर्तक विनयमुनि व गौतममुनि, साध्वी कुमुदलता के सान्निध्य में हुई सभा बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। सभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर ने कहा गुरुदेवों के प्रति लोगों की श्रद्धा है इसलिए लोग यहां उपस्थित हैं। उनसे हमें बहुत कुछ मिलता है।
रूपमुनि की जुबान ऐसी थी कि पूरा जमाना उनका गुणगान करता है। जहां वे चलते थे पूरा जमाना उधर ही चलता था। उन्होंने कहा जयकारा उनका नहीं लगता जो स्वयं का जाप करते हैं बल्कि उनका लगता है जो दूसरों का जाप करते हैं। उन्होंने हमेशा समाज की भलाई देखी थी। लोगों को उन्होंने जीना सिखाया और इसलिए उनको मानव का मसीहा माना जाता है।
उन्होंने कहा समय ने रूपमुनि को तो हम सबसे छीन लिया लेकिन दिल से नहीं छीन पाएगा, क्योंकि ज्ञद्धांजलि समय के साथ मिटने वालों को नहीं बल्कि समय जिसे नहीं छीन पाता उन्हें दी जाती है। उन्होंने सभी महापुरुषों की जयंती एक साथ मनाने का भी आग्रह करते हुए कहा महापुरुषों की जयंती अगर एक साथ मनाई जाए तो समय के साथ हर चीज की बचत होगी।
गौतममुनि ने कहा रूपमुनि सचमुच में बहुत महान महापुरुष थे। वे घोर तपस्वी कवि थे। उन्होंने मरुधर में धूम मचाई व समाज के हर प्राणी पर अनंत उपकार किए। हमें भी एकजुट होकर महान गुरु भगवंतों के प्रति श्रद्धा का परिचय देना चाहिए। रूपमुनि के उपकारों को शब्दों से नहीं गिनाया जा सकता। कुमुदलता ने कहा वे रूपमुनि के बारे में तो ज्यादा नहीं जानती लेकिन जब भी उनके दर्शन का सौभाग्य मिला उनकी वाणी पत्थर की लकीर बन गई। उन्होंने कहा जो पैदा हुए हैं उनकी मृत्यु तो होनी ही है लेकिन उनमें से कुछ ऐसे महापुरुष होते हंै जो राष्ट्र को कुछ ा कुछ देकर जाते हैं।
रूपमुनि को दुनिया के कोने कोने में श्रद्धांजलि दी जा रही है। आशा है लोगों की यह श्रद्धा इसी प्रकार बनी रहेगी। उन्होंने कहा वे तो हमारे साथ नहीं हंै लेकिन उनके दिखाया गया मार्ग हमेशा साथ रहेगा। उसी मार्ग का अनुसरण कर हमें अपने जीवन को बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
विनयमुनि ने महामांगलिक दिया। इससे पहले समिति अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा गुरुदेव के आशीर्वाद मात्र से सारे कार्य सफल हो जाते हैं।
हम पर गुरुदेव का बहुत बड़ा उपकार है। आज वे साथ में नहीं हंै लेकिन उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा। महावीरचंद सिसोदिया ने कहा रूपचंद गरीबों के मसीहा थे। जैन कांफ्रेंस की पूर्व महिला अध्यक्ष कमलाबाई मेहता ने कहा गुरु चरण छूने से पापों का भार कम होता है। महापुरुषों का आशीर्वाद पाने वाले को कभी ठोकर नहीं लगती। अभयकुमार श्रीश्रीमाल ने रूपमुनि को श्रद्धांजलि देते हुए कहा उनका संपूर्ण जीवन संघ समाज के विकास में लगा रहा।
ऐसे में उनका जाना जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। इसके साथ ही अजीत चौरडिय़ा, भवरलाल राठौड़, हस्तीमल खटोड़, गौतम कांकरिया, पन्नालाल सिंघवी, ताराचंद दुगड़, नेमीचंद कोठारी और आशीष पगारिया सहित अन्य लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। संजय कुकड़ा और जवाहरलाल कर्णावट ने गीतिका प्रस्तुत की।
श्रद्धांजलि सभा का संचालन महावीरचंद सी. भडारी ने किया। सभा में सेवा समिति के महामंत्री ज्ञानचंद नाहर और कोषाध्यक्ष रतनलाल सिसोदिया के अलावा जवाहरलाल नाहर, शांतिलाल मूथा, अरिहंत तालेड़ा, पवन कोचेटा, रमेश ढड्ढा, एच. महावीरचंद भंडारी और चैनराज ललवानी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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