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संत मिलन परिवार में समभाव, सांमजस्य से रहने की प्रेरणा देता – मुनि हिमांशुकुमार

संत मिलन परिवार में समभाव, सांमजस्य से रहने की प्रेरणा देता – मुनि हिमांशुकुमार

साध्वी डॉ गवेषणाश्री एवं मुनि हिमांशुकुमारजी आध्यात्मिक मिलन

नार्थटाउन, चेन्नई: मिलन भीतर में अहोभाव पैदा करता हैं, उत्साह उत्पन्न करता है, उमंग बढ़ जाती हैं। मिलन प्रेरणा देने वाला होता है, कि हम भी घर परिवार में उसी तरह समभाव, सांमजस्य से रहे। उपरोक्त विचार महावीर जैन भवन, ट्रिप्लीकेन से विहार कर नार्थटाउन जैन संघ भवन में साध्वी डॉ गवेषणाश्रीजी ठाणा-4 से आध्यात्मिक मिलन के अवसर पर मुनि श्री हिमांशुकुमार ने कहें।

 मुनिश्री ने आगे कहा कि हम चारित्रिक आत्माओं का मिलन आध्यात्मिकता का संदेश देता है, तो वहीं इस मिलन के क्षणों के साक्षी बनने वालों के मन में भी प्रसन्नता के भाव भर जाते हैं। मुनिश्री ने चारों साध्वीयों की विरल विशेषताओं का उल्लेख करते हुए श्रावक समाज को प्रेरणा दी कि गुरु कृपा से प्राप्त चेन्नई के आगामी दोनों स्थानों के चातुर्मास में श्रद्धा और समय नियोजन से सेवा आराधना कर अपने आध्यात्मिक विकास के साथ धर्म संघ की प्रभावना में योगभूत बने। विन्रमता के भाव, विरल विशेषता को आगे बढ़ाते चलें। त्याग, तपस्या, साधना में सलंग्न बने।

  इससे पूर्व साध्वी डा. गवेषणाश्री ने कहा कि जब एक ही गुरु की शिष्य परम्परा के सदस्य आपस में मिलते हैं तो विशेष उत्साह और उमंग का वातावरण निर्मित होता है। मिलन और उसके साथ जुडा उत्साह, एकता के सूत्र में बंधे रहते की प्रेरणा प्रदान करता है। श्रावक समाज को झाड़ू की तरह एकता के सूत्र में बंध कर कार्य करना चाहिए।

 साध्वीश्री ने कहा कि जहां गुरु दृष्टि होती है, वहां सृष्टि होती है। हम साध्वीवृन्द और मुनिश्री गुरु आदेशानुसार चेन्नई में आयें। मुनिश्री युवा संत है। आप जोश, उत्साह, उमंग से ओत:प्रोत है। आपके मन में उत्कृष्ट भाव रहते है कि हमारा श्रावक समाज आध्यात्म से परिपूर्ण बने। श्रावक समाज का भी दायित्व है कि वे जोश और होश के साथ इस बहुमूल्य समय का सदूपयोग करें।

 चारों साध्वीवृन्द ने ‘गुरुवर री कृपा स्यू, महाश्रमण री कृपा स्यू’ मधुर गीत का संगान किया।

 मुनि हेमन्तकुमार ने कहा कि मुनिश्री एवं साध्वी गवेषणाश्री दोनों का दीक्षा संस्कार आचार्य तुलसी के द्वारा हुआ। साथ ही उनका गृहस्थ अवस्था का परिवार एक क्षेत्र, एक जीरावला गौत्र से संबन्ध रखते हैं, जो अपने आपमें एक विरल संयोग की बात है। यह भाई- बहन का मिलन है। वैसे हम आचार्य महाश्रमणजी की शासना में रहते हैं, वे सभी भाई बहन होते हैं। श्रद्धा, भक्ति, संघीय संस्कार हमें संस्कारगत मिले हुए हैं। श्रावक समाज को साहूकारपेट हो या माधावरम्, कहीं पर भी आध्यात्मिक लाभ उठाना चाहिए।

 इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष अशोक खतंग, महिला मंडल अध्यक्षा लता पारख, युवक परिषद् अध्यक्ष संदीप मुथा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष ललित आंचलिया, नार्थटाउन तेरापंथ परिवार अध्यक्ष दिलीप गोलेच्छा ने भी विचार व्यक्त किए। सैकड़ों श्रावक कार्यकर्ता विहार एवं मिलन के अवसर पर सक्रिय रूप से संभागी बने। उपरोक्त जानकारी माधावरम् ट्रस्ट प्रचार प्रसार प्रभारी स्वरूप चन्द दाँती ने दी।

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