पनवेल श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी श्री संयमलताजी म. सा.,श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में उपाध्याय प्रवर श्री केवल मुनि जी म.सा. एवं सलाहकार श्री सुरेशमुनिजी म. सा.की जन्म जयंती दया दिवस के रूप में भव्य रुप से संपन्न हुई। धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा संत केवल किसी देश के नहीं अपितु समस्त विश्व की विभूति है। उनके पवित्र व्यक्तित्व की सौगंध जहां भी पड़ती है वहीं पर आनंद का साम्राज्य छा जाता है। गुरुदेव स्वस्थ समाज संरचना के प्रेरणा स्तोत्र रहे। आपने साधना, ज्ञान और चरित्र के बल पर जन जन के मन में त्याग,निष्ठा, संयम प्रतिष्ठा, और विशुद्ध जनत्व का संदेश देने के लिए हजारों मील की पदयात्रा की । गुरुदेव का संपूर्ण जीवन श्रमण संघ की एकता के लिए वरदान रहा। वह एक वट वृक्ष के समान थे जिसकी छाया तले लाखों दुखी प्राणियों को शांति मिलती थी।
गुरुदेव कलम और वाणी के जादूगर थे। अपने जीवन काल में 80 से अधिक उपन्यास और 700 गीतों की संरचना की। महासती सौरभ प्रज्ञा ने कहा क्रोध विष है, रोग है, पागलपन है,मनोविकार है,अंधा, बहरा, गूंगा व विकलांग है। क्रोध जब भी आता है विवेक को नष्ट करके आता है। क्रोधी मनुष्य जहरीला होता है। जो क्रोध का गुलाम है उसका महीनों का तप और लाखों का दान व्यर्थ है। क्रोध पर विजय प्राप्त करना सबसे बड़ी विजय है। पनवेल के इतिहास में प्रथम बार 109 से अधिक गुरुभक्तों ने दया में भाग लिया। अयाम्बिल, उपवास और तेले की कड़ी निरंतर गतिमान है। सुखविपाक की साधना एवं वंदना मासखमण सुचारू रूप से चल रहा है। बुधवार को प्रवचन का समय 9:00 बजे से 10:00 बजे तक रहेगा।