चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने सोमवार को कहा कि जिस प्रकार से सुई में धागा होने पर वह गिरता है तो आसानी से मिल जाता है, ठिक उसी प्रकार से अगर मनुष्य रूपी जीवन में धर्म का धागा लपटा हो तो वे भटकते मार्गो से भी सही मार्ग पर पहुंच जाता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मनुष्य उजाले में जाकर परमात्मा की तलाश करने की कोशिश करता है लेकिन सही मायने में मनुष्य के भितर ही परमात्मा का वास होता है। अगर भितर के अंधेरे को सही से देखा जाए तो वह उजाले से बेहतर होता है। दुनिया भर में मनुष्य चाहे तो घुम ले लेकिन परमात्मा की तलाश उसके अंदर पूरी होती है। उन्होंने कहा कि आत्मा में अनंत ज्ञान होता है।
अगर उसे सही तरीके से देखा जाए तो जीवन में बदलाव आने में समय नहीं लगता है। साध्वी सुविधि ने कहा कि सत्संग में जो सुख होता है वह दुनिया के किसी और कार्य में नहीं होता है। सत्संग में आकर मनुष्य अपने जीवन को भाग्यशाली बना लेता है। मनुष्य को लगता है कि उपर जाने के बाद स्वर्ग मिलेगा तो जीवन का कल्याण हो जाएगा।
लेकिन सच तो यह है कि उपर बैठे देवतागण भी साधु संतों के सानिध्य के लिए मनुष्य भव पाने इच्छा रखते है। लेकिन मनुष्य को यह भव मिला है पर वह इस भव का सही से उपयोग नहीं कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जïन्म का पाना बहुत ही दुर्लभ होता है और उससे भी दुर्लभ साधु संतो का सानिध्य पाना होता है।
अगर संतो का सानिध्य मिला है तो इसमे आकर अपने जीवन में बदलाव करने का प्रयास कर लेना चाहिए। जब तक मनुष्य सत्संग नहीं जाएगा उसे जीवन जीने की कला नहीं पता चलेगी। जीवन में बदलाव लाना है तो संतो के सानिध्य में जाकन ही संभव हो पाएगा। अन्यथा काफी तपस्या के बाद मिला यह जीवन ऐसे ही व्यर्थ हो जाएगा।
कल पुणिमा एवम चातुर्मास शुभारंभ के अवसर पर गुरु अनुष्ठान होगा। धर्म सभा मे अध्यक्ष आनंद मल छलाणी उपाध्यक्ष महावीर सिसोदीया जेपी ललवानी समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे । संचालन मंत्री मंगल चंद खारीवाल ने कीया