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ज्ञान वाणी

संतों की बददुआ नहीं लेनी चाहिए: ज्ञानमुनि

संतों की बददुआ नहीं लेनी चाहिए: ज्ञानमुनि
वेलूर शांति भवन में विराजित ज्ञानमुनि ने कहा संतों की सेवा करो तो ठीक न करो तो भी ठीक, लेकिन उनकी बददुआ नहीं लेनी चाहिए। सती, गरीब, बालक व संत की हाय जल्द लगती है।
गरीब की बुरी शीष लगने से करोड़पति भी सडक़ पर आ जाता है। मनुष्यों को आठ कामों में धैर्य रखना चाहिए। जैसे स्नान, प्रश्र अगर किसी संत से प्रश्न पूछते हो तो उनके जवाब देने तक धैर्य रखना चाहिए क्योंकि तभी उस प्रश्न का जवाब सही मिलेगा।
तीसरा गायन अगर भगवान की भजन गा रहे हो तो जल्दबाजी या हड़बड़ाकर नही गाना है, शांति से गाना चाहिए। इसी तरह समभाषण, श्रृंगार, मान, दान, सत्कार जैसे कार्यो में आतुरता नहीं दिखानी चाहिए। मनुष्य का जीवन शक्ति, ऊर्जा से भरा होता है अगर वह इसका प्रयोग अच्छाई में करे तो उसके जीवन में कभी निराशा नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि ज्ञानियों, वृद्धों एवं अनुभवी लोगों को सेवा व नमन करने से वह प्रसन्न व प्रफुल्लित होकर सामने वाले को आशीर्वाद तथा उसके सद्भावना से निर्मल निरोग रहने की शक्ति देते हैं।

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