मेवाड़गौरव सीए रोशनलाल जैन का किया सत्कार
बेंगलूरु। विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका, शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने सोमवार को अपने प्रवचन में कहा कि धर्मसंघ, जिनधर्म और स्थानकवासी परंपरा का गौरव बढ़ाने वाले आचार्यश्री आनंदऋषिजी व उपाध्यायप्रवरश्री केवलमुनिजी ने जिनशासन की पताका फहराते हुए सदैव एकजुटता का संदेश दिया व सभी को जोड़ने का अनूठा प्रयास किया था। उनके जीवन से हमें भी सीख लेकर सामूहिक एकता को बरकरार रखना चाहिए।
साध्वीश्री ने कहा कि वर्तमान दौर में सभी के लिए चिंतन का विषय है कि हमसब एकजुट रहते हुए आगे बढ़ें। स्थानीय वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में साध्वीश्री ने कहा कि कड़ी से कड़ी मिलाकर जुडें व धर्मसंघ में कदम से कदम मिलाकर बढ़ना सभी की प्राथमिकता में होना चाहिए। इससे पूर्व स्वर साम्राज्ञी साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने कहा कि व्यक्ति को उसकी अनंत पुनवानी से संतों का सान्निध्य मिलता है।
उन्होंने कहा कि संत ही जीने का तरीका सीखाते हैं, असत्य से सत्य की राह दिखाते हैं, बंधन से मुक्ति की ओर ले जाते हैं तथा अंधियारे से उजियारे का मार्ग प्रशस्त करते हैं। महाप्रज्ञाजी ने राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाते हुए एवं संतों का गुणगान करते हुए यह भी कहा कि सच्चा सुख आत्मा है और आत्मा के द्वार संत ही खोल सकते हैं अर्थात् आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए संत-गुरु ही एकमात्र विकल्प है। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने जैसी करनी वैसी भरनी के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए सुख-विपाक सूत्र का वाचन किया।
जीवन के प्रत्येक कार्य को ईमानदारीपूर्वक करने की सीख देते हुए साध्वीश्री ने आज्ञापालन, अतिथि देवोभव तथा दानधर्म की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का व्यवहार चिंतनशील हो तथा अपने स्वभाव के प्रति सजग भी रहना चाहिए। साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने गीतिका प्रस्तुत की। समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि सुबह के सत्र में साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी की प्रेरणा से सोमवार एवं बुधवार को प्रातः 7 बजे से युवाओं के लिए प्रेरणादायी कक्षाएं भी प्रारंभ हुई।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित हुए युवाओं को संबोधित करते हुए साध्वीश्री ने भगवान ऋषभदेवजी, भारत-बाहूबली के महत्व पर प्रकाश डाला। मुंबई-अहमदाबाद के सुश्रावक मूलचंद नाहर ने गीतिका प्रस्तुत की। रांका ने बताया कि साध्वीवृंद द्वारा विभिन्न प्रकार की तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को पच्चखान व प्रत्याख्यान कराए गए व तप के क्षेत्र में आगे बढ़ने की आशीर्वादी अनुमोदना की। धर्मसभा में अहमदाबाद, मुंबई, मेवाड़, चित्तोड़, रायचूर, चन्नपटना, चेन्नई से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं व महिला मंडल ने भाग लिया।
एक दिवस पूर्व मैसूरु में साध्वीश्री विजयलताजी की निश्रा में मेवाड़ गौरव से नवाजे गए सीए रोशनलाल जैन का 50 सदस्यीय दल के ने धर्मसभा में शामिल होकर साध्वीवृंद के समक्ष शीश नवाया। इनका समिति के चेयरमैन किरणचंद मरलेचा, अध्यक्ष केसरीमल बुरड़, कार्याध्यक्ष पन्नालाल कोठारी, महामंत्री चेतनप्रकाश दरड़ा, कोषाध्यक्ष गुलाबचंद पगारिया, सहकोषाध्यक्ष रमेश सिसोदिया, सहमंत्री अशोककुमार रांका ने संयुक्त रुप से सम्मान किया। चेतन दरड़ा ने बताया प्रतिदिन आयोजित होने वाली जयजिनेंद्र प्रतियोगिता कि विजेताओं क्रमशः सुशीला सेठिया, विजय बोहरा, उत्तम मूथा व मीनाबाई को पुरस्कृत किया गया। संचालन अशोककुमार गादिया ने किया।