हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं वह इस प्रकार हैं।
तीन बातें एक संघं दूसरा संप 3 संत तीन बातें मिल जाती है। तो संघ बन जाता है यूनिटी पिरिडी सिंगिरिटी यह तीनों बातें मिल जाते हैं तो आत्मा का उद्धार हो जाता है
तीर्थंकर ने भी संघ के बारे में बताया नमो संघस अगर जहां भी संघहो वहां साधु-साध्वी एक कदम भी उनको बिना पूछे आगे नहीं रखते। इसलिए संघ बड़ा है व्यक्ति बड़ा नहीं फूल को धागों में गिराया जाता है तो वह माला बन जाता है सभी नदियां मिल जाती है तो वह सागर बन जाता है।
अगर एक एक इंट इकट्ठे करते हैं तो वह महल बन जाता है। उसी प्रकार अगर संघ में एक-एक व्यक्ति जुड़ता है वह संघ बन जाता है। आज का योग टीवी और कंप्यूटर का है इसलिए जेसा सिनेमा इंटरनेट पर दिखाया जाएगा यूग वैसा ही निर्मित होगा।
आज जितना ज्ञान विज्ञान विकसित हुआ है मनुष्य उतना ही होगी उचित हुआ है विज्ञान में उसकी आंखें नहीं खोली है। बल्कि उसे अंधा अनुसरण करने की प्रेरणा अधिक दिए विज्ञान अंधा अनुसरण का प्रयोग कतई नहीं है। लोगों ने अनुसरण को अपने जीवन में छाया की तरह जुड़े प्रश्न यह है कि जो कुछ हम कर रहे हैं अगर ठीक है तो फिर हमारी संस्कृति होता क्या है। क्या संस्कृति और केवल भाषण और किताबों की बातों में रह गई या मानवता के लिए उनका कोई उपयोगी है।
पब्लिक के बीच खड़े होकर बोलते हैं जियो और जीने दो लेकिन आचरण आज का पियो और पीने दो यह होता जा रहा है। ऐसे लोग अपने जीवन के साथ धर्म और उसके मूल्यों को आखिर कैसे जोड़े रख सकते हैं। अपने जीवन में संस्कार का पतन ना होने दे क्योंकि यदि इसका पतन हो गया तो जीवन का मजा खत्म हो जाएगा, इसे बचाए रखने की कोशिश करते रहें।
जय जिनेंद्र जय महावीर🔶🔶🔶