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संघर्ष करने वालों के व्यक्तित्व में ही आता है निखार:साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

संघर्ष करने वालों के व्यक्तित्व में ही आता है निखार:साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

साध्वी जी ने बताया कि धर्म और परोपकार के कार्य दान पुण्य के कार्र्य में कभी बिलम्ब न करें

Sagevaani.com/शिवपुरी। ओसवाल गली स्थित कमला भवन में प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्यन सूत्र का वाचन कर रही है। उन्होंने उत्तराध्यन सूत्र के दूसरे अध्ययन का जिक्र करते हुए बताया कि भगवान महावीर ने हमें संघर्ष करने की प्रेरणा दी। भगवान ने बताया कि जो संघर्ष से मुंह मोडता है उसका जीवन कभी चमकदार नहीं हो सकता। संघर्ष से ही इंसान के व्यक्तित्व में निखार आता है। इसके पूर्व साध्वी वंदनाश्री जी ने भगवान महावीर की स्तुति करते हुए तन मन होवे एक प्राण, महावीर गुण गाने से भजन का सुमधुर स्वर में गायन कर माहौल को भक्तिरस की गंगा से सराबोर कर दिया। धर्मसभा में बाहर से पधारे श्रावकों का जैन श्वेताम्बर श्री संघ ने सम्मान किया।

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि भगवान महावीर के उपदेश साधू साध्वियों के अलावा श्रावक और श्राविकाओं के लिए भी उपयोगी है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने हमें संदेश दिया कि धर्म के कार्य में, परोपकार के कार्य और दानपुण्य के कार्य में कभी बिलम्ब नहीं करना चाहिए। जीवन को परिष्कृत बनाने के लिए भगवान ने संघर्ष को एक मार्ग बताया। भगवान ने कहा कि जिस तरह से स्वर्ण को आग में डालकर उसे कंचन बनाया जाता है उसी तरह से संघर्ष की अग्नि में तप कर ही व्यक्तित्व में निखार आता है। भगवान महावीर ने हमें यह भी बताया कि अपने उपकारी तीर्थ स्वरूप अपने माता-पिता को कभी मत भूलो। उनकी आज्ञा का पालन करो उनके अनुशासन में रहो। जो अपने माता-पिता के अनुशासन में रहता है वह व्यक्ति पूज्यनीय बनता है तथा जो अपने माता-पिता और गुरूजनों का आज्ञा नहीं मानता वह अपनी नजरों में भी श्रेष्ठ नहीं बनता है।

मेहनत, शुद्ध भोजन और प्रभू भक्ति अच्छे स्वास्थ्य का राज

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि जो व्यक्ति मेहनत करता है और शुद्ध आहार का सेवन करता है वह बीमारियों से दूर रहता है। यदि थोड़ी बहुत बीमारियां भी आ जाती है तो उन्हें प्रभू भक्ति से दूर किया जा सकता है। साध्वी जी ने कहा कि मनुष्य भव ऐसा भव है जिसके लिए देवता भी तरसते है। देवता के जीवन में सिर्फ रिद्धी होती है, जबकि मनुष्य रिद्धी-सिद्धी और संपत्ति प्राप्त कर सकता है। उसमें अपने जीवन को शिखर पर ले जाने की क्षमता है।

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