चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने शनिवार को कहा कि गलत काम करना जितना आसान होता है उतना ही मुश्किल उसके परिणाम को झेलना होता है। लोग अज्ञानतावश गलत काम कर तो लेते हैं लेकिन जब परिणाम सामने आने लगता है तो पछतावा होता है। लेकिन याद रहे कि एक बार जो कर दिया उसका भुगतान करना ही पड़ेगा।
साध्वी समिति ने कहा कि मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण आवेग और संवेग में फर्क नही समझ पा रहा है। आवेग में उलझा मानव सांसारिक मार्ग पर बढ़ता है जबकि आत्मा को परमात्मा बनाने वाला मानव संवेग की ओर बढ़ता है।
जिस प्रकार से धन इकट्ठा करने के लिए मनुष्य संकल्प लेकर दिन रात मेहनत करता है और धन पा लेता है। ठीक उसी प्रकार अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए मानव को संकल्प लेकर संवेग करने की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा कि मोह माया करने से मानव को कुछ हासिल नहीं होना है, लेकिन फिर भी मानव इससे दूर नहीं हो रहा बल्कि इसमें अटक कर जीवन बर्बाद कर रहा है। ऐसा सिर्फ आवेग के कारण होता है।
धर्म की श्रद्धा जागने के बाद आवेग समाप्त होने लगता है। मंजिल तक पहुंचना है तो रास्ता पहचानना बहुत ही जरूरी है। मोक्ष की मंजिल तक पहुंचाने का रास्ता संवेग होता है। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी, सुरेश कोठारी, गौतमचंद दुगड़ उपस्थित थे।