करूर. आचार्य महाश्रमण राज्य के अनेक हिस्सों में धर्म प्रभावना करते हुए बुधवार सवेरे करूर जिले के लालापेट स्थित गवर्नमेंट हाई स्कूल पहुंचे जहां स्कूल के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने उनका हार्दिक अभिनन्दन किया। विद्यालय में आचार्य ने विद्यार्थियों को विशेष प्रेरणा देते हुए कहा विद्यार्थियों के लिए चार बातें बताई जा रही हैं- पहली चोरी करने से बचें। दूसरी, झूठ न बोलें। तीसरी, गुस्से को कम करने का प्रयास करें और चौथी, नशामुक्त जीवन जीने का प्रयास करें। विद्यार्थियों ने इन चारों बातों को सहर्ष स्वीकार किया।
इसके बाद आयोजित धर्मसभा में आचार्य ने श्रद्धालुओं से कहा सुखी बनने के अनेक सूत्र दिए गए हैं, उनमें से एक है अपने आपको तपाना। आदमी कुछ विपरीत परिस्थितियों को भी झेल सके, सहन कर सके, ऐसी मानसिकता, विचार व भाव होना चाहिए। हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों को भी सहन करने का प्रयास करना चाहिए।
केवल आरामतलबी नहीं होना चाहिए। जो आदमी खुद को तपा ले, कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों को सहन कर ले तो मानना चाहिए उसका जीवन सुखी होने का एक सूत्र आ गया। सभी आलस्य को छोडक़र सत्पुरुषार्थ करने का प्रयास करें। आलस्य को मनुष्य के शरीर में रहने वाला सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है। परिश्रम के समान दूसरा कोई बंधु नहीं होता।
आध्यात्मिक क्षेत्र में परिश्रम करने का प्रयास करें। केवल सपने नहीं, संकल्प पूरे होते हैं। इसके लिए सभी को परिश्रम करने का प्रयास करना चाहिए। श्रम से जो प्राप्त होता है वही अच्छा होता है। विद्यार्थियों को ज्ञान प्राप्ति के लिए परिश्रम करना चाहिए। परिश्रमशीलता और ईमानदारी दोनों साथ हों तो आदमी सुखी जीवन की दिशा में अग्रसर हो सकता है। अपने जीवन में गुणों को ग्रहण करने और अवगुणों को छोडऩे का प्रयास करना चाहिए।
प्रवचन के बाद आचार्य के समक्ष शिक्षक और ग्रामीण कुछ दिव्यांग बच्चों को लेकर उपस्थित हुए तो स्वयं आचार्यश्री ने खड़े होकर उनके कुछ निकट पहुंचे और उनसे णमो अरिहंताणं का उच्चारण करने को उत्प्रेरित किया तो उन बच्चों में से कुछ ने इसका उच्चारण किया। आचार्य आशीर्वाद प्राप्त करने पर दिव्यांग बच्चों के चेहरों पर भी विशेष प्रसन्नता दिखाई दे रही थी।