कडलूर. उलदंूरपेट में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा जीवन को सफल बनाने के लिए मनुष्य को श्रोता बनने का प्रयास करना चाहिए। श्रोता बन कर आध्यात्मिक पथ पर चलना चाहिए। हर मनुष्य खुशी पाने की अभिलाषा रखता है लेकिन आध्यात्मिक सुखों को प्राप्त करने के लिए दिल से गुरुभक्ति करनी चाहिए।
ऐसा तभी संभव होगा जब मनुष्य श्रोता बनेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार छाया और धूप एक दूसरे के साथ मिले होते हैं उसी प्रकार श्रावक और संत का भी एक दूसरे के साथ संबंध होता है।
मनुष्य भव को सफल बनाने के लिए संतों की वाणी का श्रवण करें। जीवन को संस्कार से जोडऩा ही संयम कहलाता है। जीवन को सफल बनाना है तो अपने ज्ञान का विकास करें। मनुष्य को चारित्र और तप का परिणाम इसी भव में मिलेगा, इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए।
ज्ञान की अराधना के साथ चारित्र की अराधना भी करनी चाहिए। इस भव को सुधारने के लिए अपनी दृष्टि को सुधारना होगा। जब तक दृष्टि नहीं सुधरेगी तब तक सृष्टि नहीं सुधर पाएगी।