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श्रेष्ठ संतों के दरबार में बगैर किसी प्रकार की स्वार्थ पूर्ति के सिर्फ विश्व मंगल की कामना मिलेगी : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

श्रेष्ठ संतों के दरबार में बगैर किसी प्रकार की स्वार्थ पूर्ति के सिर्फ विश्व मंगल की कामना मिलेगी : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

“जिनकी दृष्टि मात्र से व्यक्ति के जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल जाती है”

शक्तिपीठाधीपति बोले ; कल्याणकारी, धर्ममय जीवनानंद है स्वर्ग से सुंदर कृष्णगिरी तीर्थधाम

श्रावणी अमावस्या अवसर पर कृष्णगिरी में 2500 जरूरतमंदों को राशन सामग्री किट महादान का वितरण ब्राम्हणों को देकर हुआ प्रारंभ

कृष्णगिरी। इस धरा पर स्वर्ग से सुंदर कृष्णगिरी तीर्थ धाम साक्षात ईश्वर का घर है, यहां कोई ज्योतिषालय, तांत्रिक, ओझा, डोरे की इच्छा रखने वाले नहीं बल्कि सच्चे और ईमानदार भक्त बनकर भक्ति करने आएंगे तो कृष्णगिरी वाली आदिशक्ति, जगतजननी राजराजेश्वरी देवीमां पद्मावती एवं त्रिकाल योगी रूद्र रूप भैरवदेव से साक्षात भेंट होगी। साथ ही इनसे चाहत से भी अधिक कल्याणमय प्राप्ति होगी।

यह कहा कृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, विश्व शांतिदूत, राष्ट्रसंत, परम पूज्य गुरुदेव श्रीजी डॉ वसंतविजयजी महाराज साहेब ने। श्रीपार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थधाम में वैश्विक स्तर पर ऐतिहासिक, अद्भुत अष्ट दिवसीय श्री भैरवदेव महापुराण, अभिषेक एवं हवन यज्ञ के सातवें दिन पूज्य गुरुदेवजी ने कहा कि देश और दुनिया में श्रद्धालुओं की कमी नहीं है, लेकिन स्वार्थी एवं लोभी लोग ईश्वर के दरबार को भी अपने मनमाफिक दुकान समझने लगे हैं। उन्होंने बताया कर्ण पिशाचिनी विद्या से भूतकाल तो हर कोई बता सकता है, मगर संतों की सभा में धर्म और कल्याण के साथ वर्तमान के आनंद व जीवन की इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति मिलेगी। गुरुवार को गुरु पुष्य नक्षत्र के अवसर पर गुरु महिमा का गुणगान करते हुए सर्वधर्म दिवाकर डॉक्टर वसंत विजय जी महाराज ने कहा कि साधना की शक्ति है कि गुरुदेव को कुछ बताने या पूछने की आवश्यकता नहीं है, जिनकी दृष्टि मात्र से व्यक्ति के जीवन की दशा व दिशा ही बदल जाती है। इस दौरान उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि कुछ ठग प्रकार के लोग अच्छा बोलना सीख कर, प्रपंच के साथ लुभावनी कथाएं करके संत समाज को कलंकित करते हैं यह कतई स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

एक श्रद्धालु भक्त को गुरु को अपनाने अथवा संत को मानने से पूर्व उनकी जीवनी का भी आकलन अवश्य करना चाहिए। इस रंग बिरंगी दुनिया में कथित ठग संतो ने ज्ञान के नाम पर अनेक लोगों का शोषण किया है व सनातन संस्कृति को भी बदनाम किया है। भैरवदेव के नाम की श्रवण की व्याख्या करते हुए डॉ वसंत विजय जी महाराज साहेब ने कहा कि भैरव देव डर व संकट मिटाकर जीवन में श्रेष्ठता आता है जब 12 ग्रहों एवं 27 नक्षत्रों के अधिष्ठायक श्रीभैरवदेव अथवा गुरु भगवंत के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी तो किसी प्रकार का भय नहीं रहेगा और जन्म कुंडली के सभी दोष स्वत: नष्ट हो जाएंगे। विज्ञान सम्मत अपने आध्यात्मिक दिव्य प्रवचन में भूत और भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान में जीना सीखने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि अज्ञानता दुख है व ज्ञान सुख है।

श्रेष्ठ संतों के दरबार में बगैर किसी प्रकार की स्वार्थ पूर्ति के सिर्फ विश्व मंगल की कामना मिलेगी, साथ ही सच्ची भक्ति से सरल तरीके से श्रद्धालु की आत्मा शुद्ध होगी। इस मौके पर श्रावणी अमावस्या शुक्रवार को करीब दो हज़ार पांच सौ जरूरतमंद गरीब परिवारों, ब्राम्हणों को दी जाने वाली राशन सामग्री किट महादान में सहयोगी जनों के कल्याण का आशीर्वाद पूज्य गुरुदेवजी ने प्रदान किया। साथ ही गुरु पुष्य नक्षत्र में ब्राह्मण पंडितों को इस सामग्री को प्रदान करते हुए महादान की शुरुआत भी की। शाम के सत्र में भैरवदेव का अति दिव्य रुद्राभिषेक किया गया। मध्यरात्रि तक हवन यज्ञ में अलौकिक रुप से वैदिक एवं बीजमंत्रों से विविध देवप्रिय सामग्रियों की आहुतियां दी गई। अहमदाबाद निवासी गुरुभक्त श्रीमती संगीता मुकेश कुमार परमार परिवार ने भैरवपुराणजी की आरती एवं हवन यज्ञ का लाभ लिया। कार्यक्रम का संचालन राजू सोनी एवं विनोद आचार्य ने किया।

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