आगम मर्मज्ञ प. पू. श्री कांति मुनि जी म. सा. एवं श्रमण संघीय उप प्रवर्तक प. पू. श्री पंकज मुनि जी म. सा. आदि ठाणा – 5 के पावन सान्निध्य में गुरु गणेश- मिश्री पावन स्मृति धाम, सुल्लूरपेठ के प्रांगण में गुरु आनंद- मिश्री -रूप ‘रजत’ -सुभद्र जन्म जयंती महोत्सव बहुत ही भव्यता के साथ संपन्न हुआ।
सर्व प्रथम मधुर गायक श्री रूपेश मुनि जी म. सा. ने दादा गुरुदेव की आरती का गायन करवाया । तत्पश्चात् आए हुए सभी श्रध्दालु गुरु भक्तों ने बड़ी श्रद्धा के साथ गुरु वंदन किया । आगम मर्मज्ञ प. पू. श्री कांति मुनि जी म. सा. के मुखार्विंद से मंगलाचरण के द्वारा धर्म सभा का शुभारम्भ हुआ। विद्याभिलाषी श्री लोकेश मुनि जी म. सा. ने गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. श्री वरुण मुनि जी म. सा. ने चारों महापुरुषों के जीवन पर ओजस्वी शब्दों में प्रकाश डालते हुए फरमाया – संसार में व्यक्ति को नहीं, व्यक्त्तित्व को याद किया जाता है, व्यक्तित्व भी वही आदरणीय और पूजनीय होता है, जिनका अस्तित्व होता है। अस्तित्व उन्हीं का होता है, जिनका कृतित्व होता है। जिनका व्यक्तित्व, अस्तित्व, कृतित्व महान होता है उनका संघ और समाज पर स्वामित्व होता है, भक्तों के हृदय पर उनका प्रभुत्व होता है।
ऐसे ही महापुरुष थे – आचार्य सम्राट परम पूज्य श्री आनंद ऋषि जी. म सा., दिव्य विभूति मरूधर केसरी श्री मिश्रीमल जी म. सा., लोकमान्य संत शेरे राजस्थान प्रवर्तक श्री रूप मुनि जी म. सा. एवं वर्तमान में उत्तर भारतीय प्रवर्तक विद्या वाचस्पति प. पू. श्री सुभद्र मुनि जी म. सा. जिनशासन की महान् प्रभावना कर रहे हैं। चारों ही महापुरुषों ने अपने जीवन में प्रवचनों के द्वारा एक ओर जहां संघ समाज में धर्म जागरण किया, वही अपनी लेखनी के द्वारा सैंकड़ों ग्रंथों की रचना करके मॉं शारदा के कोष की अभिवृध्दि की। जीव दया, मानव कल्याण, लोक मंगल के लिए इन सभी महापुरुषों का जीवन सदैव समर्पित रहा, उन्होंने कभी भी स्वार्थ को महत्व नहीं दिया अपितु परमार्थ के लिए ये सदैव प्रयत्नशील रहे, ऐसे महापुरुषों के जीवन का हम गुणगान कर रहे हैं। उनके जीवन से सद्गुणों की प्रेरणा ग्रहण करें, उनके गुणों को अपने जीवन में उतारें तो निश्चित् ही उनकी कृपा भी हमें प्राप्त होगी।
आज के दिन जीव दया के लिए विशेष कार्य करने चाहिए। श्रमण सूर्य मरूधर केसरी श्री मिश्रीमल जी म. सा., शेरे राजस्थान प्रवर्तक श्री रूप मुनि म.सा. ने पूरे भारत वर्ष में लगभग साढे तीन सौ गौशालाओं की स्थापना की, जहाँ पर लगभग एक लाख से भी अधिक गौवंश का बहुत ही सुंदर ढंग से पालन पोषण हो रहा है। इन सभी महापुरुषों के संयम एवं साधना के प्रति हम श्रध्दापुष्प अर्पित करने हैं।
आगम मर्मज्ञ प. पू. श्री कांति मुनि जी म. सा. ने फरमाया – हीरा जब कटता है, तभी उसमें चमक आती है। ईक्षु यानि गन्ना जब पीला जाता है, तभी वो मिठास देता है। चंदन को जब- जब घिसा जाता है, तब वो सुगंध देता है। ऐसे ही महापुरूषों का जीवन होता है । ज्यों- ज्यों उनके जीवन में संंघर्ष आते हैं, उन संघर्षों में भी उनका जीवन निखरता जाता है, हमें उनके जीवन से सद्प्रेरणाएं लेनी चाहिए ।
इस अवसर पर समाज रत्न श्री किशन लाल जी खाबिया, तमिलनाडु जैन कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष श्रीमान् सा. गौतम जी कटारिया, मैलापुर से श्री मदन लाल जी कांकरिया, माधावरम् से श्री सुरेश जी लोढा, साहुकारपेठ से श्री लोकेश जी छल्लाणी, विशाल जी खाबिया, जैन युवा कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष श्री आनंद जी बालेचा, महामंत्री श्री मनीष जी रांका एवं सुल्लूरपेठ से व चैन्नई के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में गुरू भक्त पधारे।
मैलापुर से श्री मदन लाल जी कांकरिया ने भी अपने गुरु भक्ति पुष्प महापुरुषों के चरणों में समर्पित किये। श्रमण सूर्य उप प्रवर्तक प.पू. श्री पंकज मुनि जी म. सा. ने फरमाया- आने वाली 1 अक्तूबर को गुरु जयमल- आत्म- शुक्ल- शिव -अमर -महेन्द्र जयंती के अवसर पर विश्व शांति जप महोत्सव का आयोजन किया जायेगा।
सुल्लूरपेठ संघ से युवा रत्न श्री सुशील जी पीपाड़ा ने आये हुए सभी गुरू भक्तों का हार्दिक अभिनन्दन किया। आगम मर्मज्ञ प. पू. श्री कांति मुनि जी म. सा. के मंगल पाठ के द्वारा धर्म सभा का समापन हुआ।
श्री गुरू गणेश गौशाला ट्रस्ट एवं सायर बाई चंपा लाल खाबिया ट्रस्ट की ओर से अल्पाहार एवं गौतम प्रसादी का अतिसुंदर आयोजन किया गया । गुरु गणेश- मिश्री पावन धाम पर अनेक भक्तों ने सामायिक साधना व जप आराधना की। गौमाता की सेवा व जीव दया के लिए भी पूज्य गुरुदेव ने विशेष प्रेरणा प्रदान की ।