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श्रीकृष्ण का जीवन कर्ममय, धर्ममय रहा: स्वाध्यायी बन्धुवर श्री महावीरचंदजी तातेड़

श्रीकृष्ण का जीवन कर्ममय, धर्ममय रहा: स्वाध्यायी बन्धुवर श्री महावीरचंदजी तातेड़

आज शुक्रवार दिनांक 19 अगस्त 2022 को स्वाध्याय भवन,साहूकारपेट, चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में वसुदेव कृष्ण की जन्मतिथि जन्माष्ठमी के शुभ अवसर पर स्वाध्यायी बन्धुवर श्री महावीरचंदजी तातेड़ ने श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र की प्रमुख घटनाओं का विवेचन करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण का जीवन कर्ममय, धर्ममय रहा, उन्हें ऐतिहासिक महापुरुषों में माना जाता हैं |

श्रावक संघ के प्रचार प्रसार सचिव आर नरेन्द्र कांकरिया ने कहा कि जैन आगमों में वर्णित हैं कि वसुदेव श्रीकृष्ण ने द्वारिका नगरी में भागवती दीक्षा लेने वालें परिवारों की पूर्ण जिम्मेदारी लेने की घोषणा करते हुए जैन धर्म व जिनशासन की अभूतपूर्व प्रभावना की अतः जिनशासन में आज भी उनका नाम धर्मदलाली के कारण से श्रद्धा से लिया जाता हैं | धर्मसभा में स्वाध्यायी बन्धुवर श्री गौतमचंदजी मुणोत, अम्बालालजी कर्णावट, रुपराजजजी सेठिया,इंदरचंदजी कर्णावट,नवरतनमलजी चोरडिया, दर्शजी चोरडिया श्रीमती पुष्पलताजी गादिया आदि की उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं |

आर नरेन्द्र कांकरिया ने संकल्प सूत्र करवाया | रुपराजजी सेठिया ने तीन मनोरथ का पाठ किया | नवरतनमलजी चोरडिया ने जैन मंगलपाठ सुनाया | तीर्थंकर भगवन्तों, आचार्य भगवन्तों, उपाध्याय प्रवर, चरित्र आत्माओं की जयजयकार के साथ वासुदेव श्रीकृष्ण की जन्मतिथि जन्माष्टमी उल्लासपूर्वक मनाई गई |

प्रेषक :- आर नरेन्द्र कांकरिया, प्रचार प्रसार सचिव, श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु

पता :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,24/25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट,साहूकारपेट, चेन्नई 600 001 तमिलनाडु.

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