श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में प. पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने श्रावक के गुणों के बारे में बताया। श्रावक गंभीर होवे धीरता वीरता जीवन में हो एवम् व्रतों का पालन करने वाला श्रावक कहलाता है।
सागर में रत्न समाये होते हुये भी उसमें गंभीरता है।. प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने बताया प्रति पता लो पापों से अलविदा इसलिये धर्म ध्यान करोगे तो कर्मों की निर्जरा होगी। जीवन में तप हो तो जीवन का कल्याण होगा। शासन में फेसीलिटी नहीं, एबीलिटी तथा केपेसिटी चाहिये।
अध्यक्ष ‘विजयराज-चुत्तर ने कहा कि म.सा. . ने कई दृष्टांतो के माध्यम से प्रवचन में फरमाया । मंत्री हस्तीमल बाफना ने आभार जताया।